आइए जानते हैं इस कोरोना वायरस महामारी के दौर में मास्क पहनना कितना जरूरी है?
भारत समेत दुनिया भर के लोग यही सवाल कर रहे हैं कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में मास्क पहनना कितना जरूरी है और यह कितना सुरक्षित है? अभी हाल में ही अमेरिकी राष्ट्रपति कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, इससे यह बहस और ज्यादा जोर पकड़ ली।
क्योकि अमेरिकी राष्ट्रपति मास्क का उपयोग ज्यादातर नहीं करते थे और यही वजह थी कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। हालांकि इसके विपक्ष में भी काफी तर्क दिए जा रहे हैं। लेकिन ऐसे में विज्ञान मास्क पहनने के बारे में क्या कहता है यह जानना जरूरी है।
विज्ञान का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में मास्क की वजह से ही जिंदगियां बच रही है। लेकिन इसके बावजूद मास्क को लेकर लगातार बहस चल रही है। दुनिया भर के वैज्ञानिक मास्क को पहनने को लेकर अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं और इस पर शोध कार्य हो रहा है।
मास्को के स्वास्थ्य शोधकर्ता का कहना है कि अस्पतालों में इस्तेमाल किए जाने वाले मेडिकल मास्क कोरोना वायरस ने सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। वही अब लोग अपने घरों में भी मास्क बनाने लगे हैं।
यह भी पढ़ें : ब्रिटेन के एक शोध के अनुसार सर्दी खांसी और बुखार नही बल्कि यह है कोरोना वायरस का पक्के लक्षण
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में मेडिकल एक्सपर्ट के पास इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं था कि कोरोना वायरस को फैलने से कैसे रोका जाए या फिर आम जनता को मास्क पहनने के सही तरीकों को कैसे समझाया जाए।
लेकिन शुरू में N 95 जैसे स्टैंडर्ड मास्क की मांग बहुत तेजी से बढ़ गई थी। लेकिन वक्त के साथ धीरे-धीरे जब महामारी बढ़ती गई तब लोगों के बीच इस मास्क की सप्लाई कम हो गई। अब लोग हाथ के बने मास्क पहने लगे हैं।
कुछ मामले ऐसे भी आए हैं जो लोग लगातार मास्क का इस्तेमाल कर रहे थे और उसके बाद भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। दुनियाभर के देश और राज्य की सरकारें मास्क लगाने की सलाह दे रही है।
करीब 200 देशों के ऊपर किए गए शोध से पता चलता है कि जहां पर जनवरी महीने से ही मास्क पहनने की शुरुआत हो गई थी वहां पर कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु का आंकड़ा कम है। अभी मास्क को लेकर नेचर पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ है।
यह शोध कार्य हॉंगकॉंग विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी क्वाक युंग द्वारा किया गया है। यह शोध जानवरों पर किया गया है।
यह भी पढ़ें : कोरोना वायरस महामारी के दौर में तनाव से बचने के लिए करें खूब गपशप
इस शोध में पाया गया कि दो तिहाई जानवर जिन्हें कोरोना वायरस हुआ उन्हें मास्क से साथ संरक्षित किए गए 25% जानवरों की तुलना में कम बीमारी लगी है। जबकि उनके पड़ोसी संक्रमित हुए थे।
वही कर कैल्फोर्निया विश्वविद्यालय की संक्रामक रोग चिकित्सक मोनिका गांधी का मानना है कि मास्क पहनने से कोरोना वायरस के अलावा गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है। उनका कहना है कि मास्क पहनने के दिशा निर्देशों का पालन करने के बाद संक्रामक बीमारियों में कमी आ रही है।
दरअसल कोरोना वायरस हवा के जरिए संक्रमण फैलाता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति सांस लेता है या बातचीत करता है या छींकता या खांसता है तब छोटी-छोटी ड्रॉपलेट्स हवा में फैल जाते हैं और एरोसेल्स के रूप में वर्गीकृत हो जाते हैं और इनके संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति भी संक्रमित हो जाते हैं। यह किसी दूसरे व्यक्ति में आंख, नाक के जरिए चला जाता हैं।
फिलहाल विश्व स्वास्थ्य संगठन का यही कहना है कि कोरोना वायरस महामारी से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि मास्क पहना जाये और बार-बार हाथ साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोया जाये।