दिन-ब-दिन यदि बढ़ रहा है चिड़चिडापन तो छोटे बच्चों से ले सीख और इस तरह बनाएं जीवन को खुशहाल
हर दिन हमारे साथ कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जिससे झुंझलाहट हट होती है। कई बार लोग इससे बहुत ज्यादा चिड़चिडे बन जाते हैं। आजकल लोगों में चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
लेकिन स्वभाव में होने वाला यह चिड़चिड़ापन दूसरे लोगों के लिए भी परेशानी का कारण बन जाता है, जो किसी भी तरीके से उचित नही है। लंबे समय तक चिड़चिड़ करने वाले लोगों में आगे जाकर मानसिक रोग होने का खतरा भी उत्पन्न हो जाता है।
इसलिए यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि खुशहाल जिंदगी जीने के लिए स्वभाव में सकारात्मक बदलाव किये जाये। अपने चिड़चिड़ापन के स्वभाव को बदलने के लिए हम अपने घर के आस-पास के बच्चे या फिर परिवार के बच्चे से मदद ले सकते हैं।
कुछ दिनों के लिए छोटे बच्चों को एक तरह से अपना शिक्षक बना ले, तब आप खुद ही असर देखेंगे कि जिंदगी में आनंद फिर से आ गया है।
आइए जानते हैं हम छोटे बच्चों से कौन सी सीख लेकर अपनी जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं –
मुस्कुराते रहना :-
छोटे बच्चे को हम जब भी देखते हैं तो अक्सर यही पाया जाता है कि वह हमेशा मुस्कुराते रहते हैं, बस यही चीज हमें उनसे सीखनी है। मुस्कुराहट सारी समस्याओं का हल होती है क्योंकि हर परिस्थिति में मुस्कुराने से हमें अंदर से एक सकारात्मक ऊर्जा महसूस होते हैं और इस तरह से हम सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित भी करते हैं।
चेहरे पर तनाव रखने से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती हैं और जब हम मुस्कुराते हैं और खुश रहते हैं तब सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती हैं। सकारात्मक ऊर्जा से जब हम भरपूर होते हैं तब हमारे साथ सब कुछ अच्छा होता है चिड़ चिड़ नही होती है।
भय से मुक्त रहना :-
अक्सर हम देखते हैं कि छोटे बच्चों को किसी भी बात का डर नही होता है। यह डर उनके बड़े होने के साथ धीरे-धीरे उनमें पैदा किया जाता है। यह अचानक से नह आती है तो इसकी यह भी वजह हो सकती है कि आपके अंदर किसी न किसी बात को लेकर अंदर से भय या डर हो और यही चीज आचरण में दिखने लगता है।
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शायद किसी को खोने का डर या सब कुछ बिगड़ जाने का भय या दफ्तर में लोगों से पीछे हो जाने का भय..! इस तरफ से न जाने भय कितने तरह के डर हमारे अंदर पलते रहते हैं। इसलिए सबसे जरूरी है कि अपनी जिंदगी में निर्भयता को अहमियत दी जाये और उसे आत्मसात किया जाये। ऐसा करने से चिड़चिड़ाहट दूर रहती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
विश्वास करना :-
कई बार चिड़चिड़ाहट की समस्या उन परिस्थितियों में होती है जब हमारे साथ किसी के द्वारा विश्वासघात किया गया होता है। लेकिन इसका यह अर्थ नही है कि हम आगे चलकर अब किसी पर विश्वास ही न करें।
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हमें छोटे बच्चों से सीख लेनी चाहिए कि किस तरह से वो सभी पर विश्वास कर लेते हैं। विश्वासघात हुआ हो या विश्वास बने रहने का निर्णय पूरी तरीके से भगवान, ब्राम्हण पर छोड़ना ही बेहतर है और इसे नजरियों को अपनाकर आगे बढ़ा जा सकता है और खुशहाल रहा जा सकता है।
सब से प्रेम करना :-
छोटे बच्चों की एक सबसे अच्छी खासियत यह होती है कि वह सभी से प्रेम करते हैं। सभी के साथ खेलते हैं और आनंद लेते हैं। लेकिन यदि ध्यान दिया जाए तो कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो चिड़चिडे से होते हैं और वह हर किसी के साथ खेलना पसंद नही करते हैं।
ऐसे बच्चे के प्रति हम आकर्षित भी जल्दी नही होते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यदि हम सभी से प्रेम करेंगे तो लोग भी हमसे प्रेम से बर्ताव करेंगे और चिड़चिड़ाहट से दूर रहेंगे। वही दूसरी तरफ यदि हम हमेशा चिड़ चिड़ करेंगे तो धीरे-धीरे अच्छे लोग भी हमसे दूर होते चले जाएंगे।
तो छोटे बच्चों से इन बातों की सीख लेकर कोशिश करें इन्हें अपनी जिंदगी में लागू करें और अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाएं और चिड़ चिड़ से दूर रह कर एक खुशनुमा जिंदगी जियें।