ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार जापान और मालदीव सबसे ईमानदार देशों में शामिल है

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार जापान और मालदीव सबसे ईमानदार देशों में शामिल है

भ्रष्टाचार की करें तो भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्तर आये दिन गिरता जा रहा है। भ्रष्टाचार के संबंध में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट जारी की गई है।

जिसमें भारत को एशिया का सबसे भ्रष्ट देश करा दिया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार एशिया के देशों में भ्रष्टाचार के मामले में भारत पहले, कंबोडिया दूसरे और इंडोनेशिया तीसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 39 फीसदी भारतीय अपना काम करवाने के लिए किसी न किसी रूप में रिश्वत का सहारा लेते हैं। वही कंबोडिया के 34 फीसदी और इंडोनेशिया के 30 फीसदी लोग अपनी काम करवाने के लिए रिश्वत का सहारा लेते हैं।

साल 2019 की रिपोर्ट में भारत का स्थान 198 देशों की सूची में 80 में स्थान पर था। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार एशिया में हर पांच में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में कभी न कभी रिश्वत जरूर दिया है।

हालांकि 62 फीसदी लोगों का मानना है कि आने वाले समय में भ्रष्टाचार के मामले में सुधार देखने को मिलेगा।

वहीं अगर एशिया के सबसे ईमानदार देश की बात की जाए तो इसमें मालदीव और जापान संयुक्त रूप से पहले नंबर पर है। जापान और मालदीव के महज तीन फीसदी लोगों ने ही इस बात को कबूल किया है कि उन्होंने कभी किसी काम के लिए रिश्वत का सहारा दिया है।

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इसके बाद तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया का स्थान आता है। जहां के करीब 10 फीसदी लोग मानते हैं कि उन्होंने अपना काम निकलवाने के लिए कभी न कभी रिश्वत दी है।

इंटरनेशनल ट्रांसपेरेंसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत में ज्यादातर लोगों का मानना है कि स्थानीय अफसर और पुलिस रिश्वत के मामले में सबसे आगे हैं।

इनका आंकड़ा करीब 46 फीसदी है। इसके बाद सांसद आते हैं जिनके बारे में 42 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि उन्हें कभी न कभी रिश्वत दी गई है। वहीं 41 फ़ीसदी लोगों का मानना है कि सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते हैं और कोर्ट में बैठे 20 फीसदी जज भी भ्रष्ट बताये गए हैं।

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में देश में व्याप्त भ्रष्टाचार को कई कैटेगरी में बांटा गया है। रिपोर्ट के अनुसार 89 फीसदी भारतीय, सरकारी भ्रष्टाचार को सबसे बड़ी समस्या मानते है और  वही 39 फीसदी लोग रिश्वतखोरी के मामले को समस्या मानते है।

वही 46 फीसदी लोग किसी न किसी रूप में दी जाने वाली सिफारिश को बड़ी समस्या मानते हैं। 18 फीसदी भारतीयों का मानना है कि नोट उनके लिए बड़ी समस्या है।

करीब 11 फीसदी भारतीयों का मानना था कि उन्हें अपने काम करवाने के लिए शारीरिक शोषण से गुजरना पड़ता है। इसलिए उनके लिए शारीरिक शोषण बड़ी समस्या है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो ज्यादातर भारतीयों की आम राय है कि भारत में बीते एक साल में भ्रष्टाचार के मामले ज्यादा बढ़े हैं। करीब 45 फीसदी भारतीयों का कहना है कि पिछले एक साल में भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं।

वह 27 फीसदी लोग का कहना है कि पिछले एक साल में भ्रष्टाचार के मामले में कमी हुई है और 23 फीसदी लोगों को कोई फर्क नहीं नजर आया है।

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अगर पूरे एशियाई देशों की बात करें तो करप्शन राइजिंग के मामले में पूरे क्षेत्र में बढ़े हैं। 23 फीसद लोगों का मानना है कि पुलिस सबसे अधिक भ्रष्ट है और फीसदी लोग का कहना है कि कोर्ट के जज सबसे अधिक भ्रष्ट है।

इस तरह से पुलिस के बाद सबसे भ्रष्ट कोर्ट को बताया गया है। करीब 14 फ़ीसदी एशियाई कहते हैं कि जहां पर पहचान पत्र बनाए जाते हैं, वहां के अधिकारी सबसे अधिक भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं।

बता दें कि भारत में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ समय-समय पर जबरदस्त आंदोलन भी किए गए हैं। सबसे पहले 1974 में जेपी आंदोलन चलाया गया था। इसके बाद 1989 में बोफोर्स मामले को लेकर वीपी सिंह ने आंदोलन किया था।

साल 2011 में काला धन वापस लाने के लिए बाबा रामदेव ने आंदोलन चलाया था और इसी दौरान जन लोकपाल विधेयक को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लाने के लिए अन्ना हजारे ने भी आंदोलन किया था।

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में कई बार कई तरह से भ्रष्टाचार रोकने की कोशिश की, इसमें नोटबंदी का मामला सबसे ज्यादा तूल पकड़ा लेकिन इससे बहुत ज्यादा फर्क देखने को नहीं मिला।

हालांकि फर्जी कंपनियों को बंद करना मोदी सरकार का भ्रष्टाचार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए डिजिटल मनी को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार के मामलों में कमी लाई जा सके और विभिन्न मदों पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी को सीधे लाभार्थी के खाते तक पहुंचाया जा सके।

लेकिन यहाँ भी कही कही भ्रष्टाचार में देखने को मिल रहा है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ही भारत में सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार निरोधक कानून, भारतीय दंड संहिता, लोक सेवा अधिकार कानून जैसे कई कानून बनाए गए हैं लेकिन इसके बावजूद भारत में भ्रष्टाचार में कमी नही हो रही है।

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