आइये जानते है भारत क्यो और कैसे बना मध्य पूर्व में शांति स्थापित के लिए पसंदीदा देश
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर है और ऐसे में इसके प्रभाव दुनिया के सभी अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिखाई दे रहा है क्योंकि ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था मध्य पूर्व से आने वाले तेल पर टिकी है । इसमें भारत समेत पूर्वी यूरोपीय संघ और रूस भी शामिल है क्योंकि इरान के पास तेल का रिजर्व भंडार काफी बड़ा है । ऐसे में दुनिया को इस संकट से सिर्फ वही देश बाहर निकाल सकता है जिसका संबंध अमेरिका और ईरान दोनों से अच्छा हो ।
चीन का संबंध अमेरिका से कई मसलों पर खराब है तथा अमेरिका और चीन का ट्रेड वॉर भी चल रहा है जिसका खामियाजा चीन को उठाना पड़ रहा है । रूस और अमेरिका के बीच में तनाव है क्योंकि अमेरिका ने उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए हैं इसमें मिसाइल खरीद में शामिल है । इसलिए रूस भी मध्य पूर्व में शांति के लिए विश्व दूत नहीं बन सकता है ।
लेकिन भारत का संबंध अमेरिका और ईरान दोनों से दशकों पुराना है और काफी मजबूत है और यही वजह है कि मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने को लेकर भारत की तरफ से की गई कोई भी पहल रंग ला सकती है । यूरोपीय यूनियन में शामिल देशों में फ्रांस और जर्मनी पहले से ही परमाणु संधि टूटने की वजह से अमेरिका से नाराज हैं क्योंकि ये देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान से जुड़े परमाणु संधि में साथ देने से इनकार कर दिया था । यूरोपीय यूनियन सहित कई देशों की सहानुभूति भी इस समय ईरान के साथ है ।
इसलिए यूरोपीय यूनियन शांति स्थापित में कारगर साबित नहीं हो सकता । बीते कुछ दिनों में ईरान लगातार अमेरिका के सैन्य बेस पर हमले कर रहा है दूसरी तरफ ईरान के राजदूत ने कहा कि भारत द्वारा की गई शांति की पहल का वह समर्थन करेंगे । अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर भारत के समर्थन की बात कही । मालूम हो कि भारत से ईरान के संबंध राजनीतिक ही नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध काफी मजबूत रहे हैं ।
ईरान में इस्लामी क्रांति के समय वहां वहाँ के शाह मोहम्मद रजा पहलवी भारत आए थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और आज के समय में भी अमेरिका के सख्त रवैये के बावजूद भारत का ईरान से रिश्ता काफी मजबूत है । जब रूस और अमेरिका के बीच 1950 में शीत युद्ध चल रहा था तो उस समय यह दोनों देशों का मोहरा बना हुआ था और उस समय भारत ने ईरान से कूटनीतिक रिश्तो की शुरुआत की थी । ईरान में भारत चाबहार पोर्ट का निर्माण कर रहा है जो आने वाले समय में दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगा ।
भारत और ईरान के बीच संबंध का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीबीसी द्वारा कराए गए सर्वे में बताया गया कि करीब 71 फीसदी इरानियों का मानना है कि वह अपने देश में सकारात्मक तौर पर भारत का प्रभाव महसूस करते हैं और ईरान जागतर देशों के मुकाबले भारत को अधिक महत्व देता है । भारत का ईरान से बेहद खास रिश्ता होने की वजह से ही अब भारत से यह उम्मीद की जा रही है कि भारत ईरान और अमेरिका के बढ़ते तनाव के बीच शांति कायम करने की कोशिश करें जिसका वह समर्थन करेगा ।