भारतीय सेना में अब महिलाओं को भी मिल सकेगा कमांड पोस्ट और स्थायी कमीशन

भारतीय सेना में अब महिलाओं को भी मिल सकेगा कमांड पोस्ट और स्थायी कमीशन

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भारतीय सेना में अब महिलाओं को भी कमांड पोस्ट और स्थाई कमीशन मिल सकेगा । सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति इस बारे में दे दी है और इन पोस्टों के लिए महिलाओं को योग्य बताया है । कोर्ट ने इसके लिए समय सीमा भी निर्धारित किया है और निर्देश देते हुए कहा कि 3 महीने के अंदर महिलाओं के लिए सेना में स्थाई कमीशन का गठन किया जाए ।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड सिंह ने कहा कि महिलाओं को स्थाई कमीशन देने से इनकार करने का कोई कारण नहीं है । उन्होंने कहा कि तान्या शेरगिल और कैप्टन मधुमिता जैसे अग्रणी महिला अधिकारियों के नाम भी गिनाए और कहा कमांडर महिला अधिकारियों ने भी तैनाती के दौरान बेहतरीन काम किया ।

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इसलिए कमांड पोस्ट के लिए भी महिलाएं योग्य है । दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से पहले ही महिलाओं के पक्ष में फैसला आ चुका था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखते हुए अपना यह फैसला सुनाया है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा महिलाओं को लेकर मानसिकता बदलनी चाहिए और सेना में सच्ची समानता आनी चाहिए । महिलाएं और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं ।

सेना में कमांड पोस्ट की जिम्मेदारी महिलाओं को नहीं दी जा सकती है ये केंद्र सरकार का तर्क था । कमांड पोस्ट का मतलब होता है किसी सेना की टुकड़ी की कमान संभावना और उसका नेतृत्व करना ।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमांड पोस्ट पर महिलाओं को आने से रोकना समानता के विरुद्ध है । कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाओं को समान मौके से वंचित रखना अस्वीकार्य  और परेशान करने जैसा है । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार  सेना में शामिल सभी महिला अधिकारी और स्थाई कमीशन के योग्य हैं चाहे उनकी सर्विस को कितने ही साल हुए हो ।

इस पर लेफ्टिनेंट कर्नल सीमा सिंह ने कहा कि यह एक प्रगतिशील निर्णय और ऐतिहासिक निर्माण है । इस फैसले के बाद सेना में महिलाओं को एक अच्छा कैरियर मिलेगा ।

सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसलों को सुनते हुए जिसमें महिलाओं को स्थाई कमीशन दिए जाने के बाद पर मोहर लगी है,  महिलाओं ने खुशी जताई है । सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन दिए जाने पर कांग्रेस की प्रियंका  गांधी ने ट्वीट करके कहा कि “सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश की महिलाओं को उड़ान को नए पंख दिए हैं । महिलाएं सक्षम है ।

सेना में शौर्य और जल, थल, नभ में अग्रणी हो । नारी शक्ति का विरोध करने वाली मोदी सरकार को यह करारा जवाब है  । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन गठित करें  और केंद्र के शारीरिक सीमा और सामाजिक मानदंडों के तर्क को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इससे विचलित करने वाला बताया था ।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2010 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर कोई रोक नहीं होने के बावजूद सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन दिए जाने पर केंद्र ने पिछले एक दशक में निर्देश को लागू करने के लिए बहुत कम चिंता दिखाई है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया था । 3 महीने के अंदर महिला अधिकारियों के लिए स्थाई कमीशन का गठन किया जाना चाहिए ।

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