क्यो इराक बेबस है अमेरिका की घमकियों के आगे

जानते है आखिर क्यो इराक बेबस है अमेरिका की घमकियों के आगे

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जैसा कि मालूम है इरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी को अमेरिका ने ड्रोन हमले में मौत के घाट उतार दिया । इसके बाद इराक अमेरिकी फौज को अपने यहां से बाहर जाने की बात कही । लेकिन अब उसको को अपनी उस गलती पर पछतावा हो रहा है जो उसने 2014 में की थी । क्योंकि 2014 में इराक में हावी होते डाइस को समूल नष्ट करने के लिए अमेरिकी फौज को अपनी जमीन सौंपी थी और अब इराक को यह डर सताने लगा है कि कासिम सुलेमानी की मौत उस पर भारी पड़ सकती है ।

दूसरी बात यह भी है कि कहीं ना कहीं ईरान से  किसी भी सूरत में इराक दो-दो हाथ करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि इराक की आर्थिक हालात बहुत खराब है साथ ही उसकी सेना ना तो बड़ी है और ना ही ताकतवर कि वह ईरान से मुकाबला कर सकें । ऐसे में यदि इराक ईरान से युद्ध करता है तो अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मारेगा ।

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वैसे भी इराक खाड़ी युद्ध का परिणाम काफी करीब से देखा है । खाड़ी युद्ध के बाद और सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाने के बाद देश की राजनीतिक हालात लगातार खराब ही होते रहे हैं । इराक की राजनीतिक अस्थिरता के चलते जनता अक्सर सड़कों पर सरकार के खिलाफ उतरने लगी है ।

सद्दाम हुसैन की मौत के बाद से ही इराक में आईएएस जैसे आतंकी संगठन अपनी पाव जमाने लगे । वही अब यह भी साफ है कि इराक के जो भी हालात हैं उसके पीछे अमेरिका सीधे तौर पर कहीं ना कहीं जिम्मेदार है और इसी वजह से जनता में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है । यही वजह थी कि इराक में अमेरिकी फौज समेत सभी विदेशी जवानों को अपनी जमीन छोड़कर जाने के लिए कहा था लेकिन इससे कोई बात नहीं बनी । क्योंकि इराक अमेरिका की धमकी के सामने बेबस है ।

दरअसल इराक के प्रधानमंत्री के बयान के बाद अमेरिका ने साफ कह दिया कि यदि इराक ऐसी कोई कोशिश करता है तो यह उस पर भारी पड़ेगी । अमेरिका को धमकी देने के अंदाज में साफ कह दिया कि न्यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक के अकाउंट से इराक वंचित हो जाएगा । वॉल स्ट्रीट जनरल की खबर का हवाला देते हुए खुद इराक के प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहंदी ने यह जानकारी दी । वर्तमान समय में ईरान पर प्रतिबंध के बावजूद अमेरिका ने इराक को सियोल जनरेटर के लिए ईरान से गैस लेने की छूट दे रखी है और इसकी समय सीमा फरवरी में समाप्त हो जाएगी ।

इराक अब यदि अमेरिका को अपने यहाँ से बाहर निकालता है तो यह समय सीमा बढ़ने की उम्मीद खत्म हो जाएगी क्योंकि अमेरिका समय सीमा को बढ़ाने से इनकार कर सकता है और यदि ऐसा हुआ तो इराक की बदहाली का रास्ता बढ़ जाएगा जो इराक के लिए अच्छा नहीं होगा ।

इसके अलावा न्यूयॉर्क के  सेंट्रल रिजर्व को लेकर इराक की चिंता इस बात से भी है क्योंकि यहां पर खोले गए अकाउंट में इराक समेत कई देश तेल से होने वाली आय को जमा करते हैं और इस आय का इस्तेमाल उन देशों की सरकार अपने यहां के कर्मचारियों को तनख्वाह देने और दूसरे मदों पर खर्च करने के लिए इस्तेमाल करती है । हालांकि अभी इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है कि इराक का कितना न्यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक में जमा है ।

इसके अलावा अमेरिका की तरफ से यह भी कहा गया है कि अमेरिकी सेना की वापसी के लिए एक प्लान तैयार करने के बाबत एक अधिकारी तक सरकार से बात करेगा । हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति इराक के सांसद से पास हुए इस प्रस्ताव से नाराज हैं क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति का कहना है कि इराक में एयर बेस बनाने में अमेरिका ने करोड़ों डालर खर्च किए हैं ।

उन्होंने यह भी कहा कि अपने कार्यकाल में बिना इस कीमत की अदायगी के अमेरिकी फौज को इराक से वापस नहीं बुलाएंगे और यदि अमेरिका को ऐसा करना पड़ा तो वह इराक पर ऐसे प्रतिबंध लगा देगा जो इराक पर पहले किसी और ने नहीं लगाए है ।

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