हर व्यक्ति औसतन 527 किलो कैलोरी खाना बर्बाद करता है !
दुनिया में ऐसे कई सारे देश है जहां पर खाद्य पदार्थों की कमी नहीं है लेकिन दुनिया में ऐसे भी कई देश है जहां की जनता एक निवाले के लिए संघर्ष करते रहती हैं । कई सारे लोग खाने के अभाव में भूखे रह जाते हैं । ऐसे में खाने की बर्बादी को अपराध की श्रेणी से कम नहीं माना जा सकता है । इस संबंध में एक रिसर्च से जो परिणाम आया है वह बेहद चिंताजनक है । अभी तक खाने की बर्बादी को लेकर जितने भी अनुमान लगाए जाते थे वास्तव में वैश्विक स्तर पर खाना उससे अधिक मात्रा में बर्बाद किया जाता है ।
नीदरलैंड के वैरनगेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च के शोधकर्ताओं ने अनुमान जताया है कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने अनुमान लगाया था कि साल 2015 में दुनिया भर में उपलब्ध कुल खाद्य पदार्थों का लगभग एक तिहाई हिस्सा बर्बाद हो जाता है । शोधकर्ताओं का कहना है यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी की मात्रा के संदर्भ में काम करता है ।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने उपभोक्ता के व्यवहार को अपने अध्ययन में शामिल नहीं किया था । उसने सिर्फ यह देखा था कि लोगों को क्या परोसा जाता है यानी यह अध्ययन लोगों के पसंद और नापसंद को नजरअंदाज कर दिया गया था । प्लस वन पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ है जिसमें पहली बार इस बात की पड़ताल की गई है कि कैसे उपभोक्ताओं की संपन्नता भोजन की बर्बादी को प्रभावित करती है ।
इस अध्ययन को करने वाले रिसर्च की टीम की सदस्य मोनिका वैन ने बताया कि ऊर्जा की आवश्यकता और भोजन की संपन्नता के डाटा को इस अध्ययन में शामिल किया गया है । इस शोध से यह सामने आया है कि वास्तविक स्थिति काफी ज्यादा चिंताजनक है जिसका अनुमान अभी तक लगाया जा रहा था । दरअसल हमारे अब तक के अनुमान से दो गुना से अधिक खाना बर्बाद किया जाता है ।
मोनिका का कहना है कि यह वैश्विक रूप से दुनिया भर के आंकड़ो को आधार पर प्रदान करता है जिसके जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद पदार्थ की बर्बादी को कम करने के लक्ष्य के प्रगति की माप किया जा सकता है । साथ ही इस अध्ययन के जरिए उपभोक्ताओं को सुझाव भी दिया जा सकता है ।
इस शोध को करने का मकसद ऐसी नीतियों को तैयार करना है जिसके जरिए वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम किया जा सके और उसे रोका जा सके । जिससे जिन देशों में खाने का संकट है वहां की आपूर्ति को बेहतर बनाया जा सके । खाद्य पदार्थ का पूरे विश्व में बेहतर समायोजन करने के लिए यह शोध बेहद मददगार होने वाला है ।
इस तरह से किया गया का पहला अध्ययन एफएओ, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने अध्ययन में मानव मेटाबॉलिज्म मॉडल और डिटेल का प्रयोग किया था जिसके आधार पर शोधकर्ताओं ने खाद्य पदार्थों की बर्बादी और उपभोक्ता कितना खा सकते है इसके बीच संबंध को देखा था । इस मॉडल का प्रयोग करके शोधकर्ताओं ने पैसे का स्तर पर और साथ ही देश, उनके आधार पर खाने की बर्बादी का अनुमान लगाया था ।
जिसमें यह बात सामने आई थी कि व्यक्ति जब 6.70 डॉलर प्रतिदिन खर्च करने की सीमा पर पहुंच जाता है तो खाने की बर्बादी बढ़ने लगती है । 2015 में विश्व बैंक के संस्था ने अपने मॉडल का प्रयोग कर अनुमान लगाया था कि प्रति व्यक्ति 214 किलो कैलोरी प्रतिदिन बर्बाद हो जाता है । अब नए मॉडल के आधार पर उसे खाने की बर्बादी 527 किलो कैलोरी प्रतिदिन का अनुमान लगाया गया जोकि पुराने लगाए गए अनुमान से लगभग दोगुने से ज्यादा है ।