जानते है लोकोमोटिव सिंड्रोम के बारे में जो कर देती है मांसपेशियों को कमजोर
लोकोमोटिव सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें लोगों को चलने फिरने में दिक्कत होती है यानी कि जब इंसान चलने फिरने वाली गतिविधि में समस्या महसूस करता है तो उसे लोकोमोटिव सिंड्रोम कहा जाता है । लोगों मैट्रिक्स मैट्रिक्स एंड रूम में मनुष्य को चलने फिरने के लिए शरीर के अनेक अंगों के बीच उचित तालमेल बनाने में कठिनाई होती है , जिसमें प्रमुख रूप से पैर, कुल्हा एवं रीढ़ की हड्डियां तथा घुटने शामिल है ।
शरीर की गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए मांसपेशियों और नसों की मजबूती की आवश्यकता होती है । यह सभी अंगों को सही रूप से तालमेल बनाकर ही मनुष्य का शरीर दोनों पैर पर समान रूप से खड़ा हो पाता है और चल पाता है ।
जानते हैं लोकोमोटिव सिंड्रोम के बारे में ऑर्थो सर्जन से :—
डॉक्टर के अनुसार इंसान का शरीर में उम्र के साथ शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं इसमें डिजनरेटिव चेंज भी कहा जाता है जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, ओस्टियोआर्थराइटिस, रीड की हड्डी में लंबे कैनाल, कूल्हे की मांसपेशियों का संकुचित होना । इसे एक तरह से मानसिक विकास भी कहा जाता है जो उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क में हुए बदलाव की वजह से होता है । ज्यादातर डिजनरेटिव बदलाव इंसान के शरीर में लगभग 40 वर्ष की उम्र के बाद से ही शुरू हो जाते हैं ।
लेकिन यह एक दिन में नहीं होता और इसकी जानकारी काफी देर में पता चलती है । वर्तमान समय में अगर देखें तो भारत में 40 वर्ष से कम उम्र की जनसंख्या सर्वाधिक है और भविष्य में यह युवा मध्यम जनसंख्या सीमा में आ जाएंगे और ऐसे में लोकोमोटिव प्रक्रिया उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलेगी ।
यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया और इसके प्रभाव को नहीं समझ पाते हैं तो आगे चलकर यह दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर असर डालता है और इसके लिए हमें तैयार रहना होगा । उदाहरण के लिए देखें तो जापान की तरह अन्य विकसित देशों में जहां के अधिकांश जनसंख्या मध्यम आयु की है या फिर वृद्धावस्था की ओर अग्रसर है उन्हें अनेक प्रकार की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएं देखने को मिल रही है ।
एक शोध से पता चला है कि व्यक्ति के न चलने फिरने के कारण वो एक सीमित दायरे में आ जाते हैं और अपना मानसिक संतुलन जल्दी खो देते हैं और उनका मानसिक संतुलन काफी कमजोर हो जाता है । इसलिए शरीर को स्वस्थ रखना और चलना फिरना बेहद जरूरी होता है ।
ऑर्थो सर्जन डॉक्टर सुरेश पटेल के अनुसार लोगों में लोकोमोटिव यानी कि चलने फिरने में मुश्किलें आने की बीमारी यह कोई एक दिन में होने वाली बीमारी नहीं है बल्कि इसे होने में काफी समय लगता है और यदि समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए और विशेषज्ञ डॉक्टर से समुचित इलाज करा लिया जाए तो इससे बचा या टाला जा सकता है ।
डॉक्टर के अनुसार नियमित रूप से योगा करने, मेडिटेशन, एक्सरसाइज करने और साथ ही संतुलित आहार का सेवन करने से शरीर स्वस्थ रहता है और हमारी मांसपेशियां तंदुरुस्त रहती हैं । अगर इन सारी बातों पर ध्यान दिया जाए तो लोकोमोटिव सिंड्रोम को काफी हद तक टाला जा सकता है ।