भारत समेत दुनिया के कई देश है टिड्डियों के हमले से हैं परेशान
टिड्डियों के दल ने भारत के कई राज्यों में हमला कर दिया है जिससे लोग परेशान हैं । इसके पहले पाकिस्तान में भी टिड्डियों के दल नेअच्छा खासा नुकसान किया था । अब खबरें आ रही हैं कि पूर्वी अफ़्रीका में अरबों की संख्या में टिड्डियों के दल ने उत्तरी अफ्रीका की बंजर जमीन पर हमला कर दिया है ।
समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी अफ्रीका के कुछ जगहों पर टिड्डियों का यह हमला 70 साल में सबसे भयावह है । भुखमरी की समस्या से जूझने वाले क्षेत्र के एक करोड़ से अधिक आबादी वाले लोगों पर भूखे छुट्टियों का यह हमला काफी खतरनाक साबित हुआ है ।
खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ओर इस संकट के लिए राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है । रिपोर्ट में बताया गया है कि धरती के सबसे बंजर दो स्थानों में से एक स्थान पर पनप रहे हैं । खबर के मुताबिक सोमालिया के अधिकांश हिस्सों का हमला हुआ है । अलकायदा से संबंधित चरमपंथी संगठन के कब्जे वाले इलाकों में हवाई छिड़काव भी नहीं हो पा रहा है ।
विशेषज्ञों के अनुसार इन पर नियंत्रण के लिए सिर्फ हवाई छिड़काव ही एकमात्र तरीका है । इसके पहले भारत में भी टिड्डियों के दलों ने हमला किया था ।
भारत के कई राज्य में सर्दी के मौसम में टिड्डियों के दलों के हमले की वजह से वैज्ञानिक भी हैरत में है । जलवायु परिवर्तन से जीव जंतुओं के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है । अभी भी भारत और पाकिस्तान के कई क्षेत्रों में खेती-बाड़ी पर जिद्दी दिलों का हमला देखा जा सकता है । इन दलों के हमले के बाद से भारत सरकार, गुजरात राज्य सरकार सक्रिय हो गई है ।
इसके पहले सबसे खतरनाक टिड्डियों के दल का हमला सितंबर अक्टूबर के समय में 1993 में हुआ था जिसमें राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब के साथ उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में टिड्डियों के दलों ने नुकसान पहुंचाया था । दुनिया भर में 10 प्रजातियो मे से 4 प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी टिड्डी भारत में गाहे-बगाहे दिखती हैं ।
मालूम हो कि टिड्डी दल का सामान्य तौर से एक दिन में 70 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं । इनका छोटा दल भी दिन भर में 10 हाथियों के बराबर के खाने की फसलों को नुकसान पहुंचा देते हैं । संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस टिड्डियों के प्रकोप से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास की अपील की है ।

उन्होंने कहा है कि इस खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगे आना चाहिए क्योंकि पश्चिमी अफ़्रीका से लेकर भारत और करीब 20 देश प्रभावित हैं जिससे करोड़ों हेक्टेयर की फसल नष्ट हो चुकी है ।
इथोपिया की राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने कहा “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर तत्काल कार्यवाही की अपील करता हूं । इस समस्या से निपटने के लिए हमारे पास अभी मौका है । इथोपिया और पूर्वी अमेरिका में अफ्रीका में टिड्डियों की समस्या जलवायु की समस्या से जुड़ी हुई है और यह दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है ।
समुद्र के पानी के गर्म होने का सीधा मतलब है चक्रवात आने की संख्या में वृद्धि । यह स्थिति टिड्डियों के प्रजनन में सकारात्मक भूमिका निभाती है । रेगिस्तानी टिड्डियों को लगभग एक दर्जन प्रजातियों मे सबसे खतरनाक माना जाता है ।