नेपाल ने अपने देश के नए नक्शे वाले संविधान संशोधन के प्रस्ताव को टाला
अभी हाल में ही नेपाल ने भारत के तीन हिस्सों को अपने नक्शे में दिखाया था और अपना हिस्सा कहा था। अब नेपाल सरकार इस मामले में पीछे हट गयी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल ने अपने देश के नक्शे को अपडेट करने वाले संविधान संशोधन प्रस्ताव को फिलहाल के लिए टाल दिया है। मालूम हो कि जब नेपाल ने अपने नक्शे में भारत के कुछ हिस्सों को अपने देश का हिस्सा बताया था।
तब भारत ने इसका विरोध किया था। वहीं भारत कुछ विशेषज्ञों ने इस बात की भी आशंका व्यक्त की थी कि नेपाल के इस कदम के पीछे चीन की साजिश हो सकती है और हो सकता है चीन नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काने और अपने साथ मिलाने की चाल चल रहा हो।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री ने नेपाल के नए नक्शे के मसले पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई और इस बैठक में राजनीतिक दल एकमत नहीं हो पाए। इसलिए संविधान संशोधन के प्रस्ताव से फिलहाल नेपाल सरकार पीछे हट गई है। मालूम हो कि नेपाल के संविधान में संशोधन करने के लिए वहां की संसद का दो तिहाई बहुमत से उसे पास करना जरूरी होता है।
बता दें कि नेपाल और भारत के बीच 395 किलोमीटर की खुली सीमा है और नेपाल ने भारत के लिपिधूरा, काला पानी और लिपुलेख को अपने हिस्से में बताया था। यहां हम यह भी बता दें नेपाल और भारत के बीच कालापानी का विवाद करीब 200 साल पुराना है । नेपाल और भारत के बीच कालापानी का विवाद अंग्रेजों के समय से ही चल रहा है।
अंग्रेजों ने जब नेपाल और भारत का बंटवारा किया था। तब कालापानी को दोनों देशों की सीमा रेखा बताया था। बता दें कि नेपाल ने जब भारत के तीन इलाकों को अपने हिस्से में दिखाया तो भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए नेपाल से कहा कि वह भारत की संप्रभुता का सम्मान करें।

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने नेपाल सरकार से गुजारिश की थी कि वे अपने बनावटी कार्टोग्राफी को प्रकाशित न करें और भारत की एकता और अखंडता का सम्मान बनाए रखें, साथ ही भारत ने यह भी कहा था कि नेपाल सरकार को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
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मालूम हो कि भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा का विवाद उस समय आया जब भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने धारचूला से लिपुलेख तक जाने वाली बनाई गई एक नई रोड का उद्घाटन किया था, तब नेपाल ने आपत्ति जताते हुए भारत के राजदूत को मामले को लेकर तलब किया था।
जवाब में भारत ने कहा था कि वह भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में बनाई गई सड़क पूरी तरीके से भारत के हिस्से में आती है। वही जब नेपाल में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सहमत नहीं बन पाई, तब नेपाल इस मामले से पीछे हट गया। लेकिन भारत अपनी कूटनीतिक पहल इस मसले पर जारी रखना चाहता है जिससे आने वाले भविष्य में किसी भी अवांछित विवाद से बचा जा सके।