क्या सच में है देश में ऑक्सीजन की किल्लत

क्या सच में है देश में ऑक्सीजन की किल्लत, जाने कैसे तैयार होती है प्लांट में ऑक्सीजन

देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप देखा जा रहा है। देश के ज्यादातर अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत देखने को मिल रही है। ऑक्सीजन के लिए मरीज इधर से उधर भटक रहे हैं।

केंद्र तथा राज्य सरकारें इसे लेकर चिंतित है। मामला इतना गंभीर हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले में केंद्र सरकार को तलब कर दिया है। उधर वायुसेना की मदद ऑक्सीजन के सुचारू आपूर्ति के लिए की जा रही है।

चर्चा यह भी है कि सिलेंडर ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी की जा रही है। ऐसे में सवाल ये है कि भारत में हर दिन कितनी ऑक्सीजन बनती है और कितनी खपत होती है यह किस तरह से तैयार की जाती है?

ऑक्सीजन का उत्पादन और मांग तथा खपत:-

बता दें देश में मौजूदा समय में प्रति दिन 75 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है, जिसमें राज्यों को 6822 मीट्रिक टन सप्लाई हो रही है।

राज्य को ऑक्सीजन की जरूरत है इस समय 6785 मीट्रिक टन की है। कोरोना वायरस महामारी के दौर में मरीजों में ऑक्सीजन का लेवल गिर रहा है। ऐसे में अचानक से ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है।

हर दिन 3378 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। ऑक्सीजन की मांग और पूर्ति में खेल की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है।

देश में हर दिन 7500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। जिसमें चिकित्सा के लिए 6600 मीट्रिक टन का उपयोग हर दिन हो रहा है। हाल में ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के दूसरी लहर में ऑक्सीजन के उत्पादन को बढ़ाने की मांग की है। जिस वजह से उद्योगों को दी जाने वाली ऑक्सीजन पर रोक लगा दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग हो सके इसलिए उद्योगों को ऑक्सीजन की सप्लाई फिलहाल के लिए रोक दी जाए।

मालूम हो कि सभी राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा की स्थापना के लिए सरकार द्वारा 162 प्रेशर से सोर्स प्लांट की स्वीकृति दी गई है। यह प्लांट वर्तमान समय में ऑक्सीजन उत्पादन कि 154.19 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादित करने की क्षमता रखते हैं।

किस तरह सप्लाई होती है ऑक्सीजन प्लांट से –

ऑक्सीजन तैयार होने के बाद मेडिकल ऑक्सीजन को एक बड़े कैप्सूल नुमा टैंकर में भरकर अस्पतालों में भेजा जाता है। मरीजों को यह अक्सीजन दो तरीके से मिलती हैं।

पहले जिन अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए पाइप लाइन की व्यवस्था होती है वहां पर मरीजों को बेड पर ही सीधे पाइप के द्वारा ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है।

जिनमें अस्पतालों में पाइप की व्यवस्था नहीं होती है वहां पर सिलेंडर के जरिए मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाता है। बता दें कोरोना वायरस के दोषी लहर में मरीजों में ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ रही है। जिसकी वजह से ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई है। हर दिन देश में लाखों की संख्या में कोरोना वायरस के नए मामले आए आ रहे हैं।

इस तरह तैयार होती है ऑक्सीजन –

ऑक्सीजन हमारे वायुमंडल में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यही इसका सबसे बड़ा स्त्रोत भी है। मानव जीवन के लिए ऑक्सीजन बेहद जरूरी है। इंसान अपनी सांसों के जरिए कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ता है और ऑक्सीजन को लेता है। इस प्रक्रिया में हमारे शरीर का ब्लड शुद्ध होता है।

अस्पतालों के लिए प्रयोग होने वाले ऑक्सीजन को एक प्लांट में तैयार करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को क्रायोजेनिक डिस्टलेशन प्रोसेस के नाम से जाना जाता है।

इसमें वायु मंडल के सभी गैसों का मिश्रण होता है। इस प्रक्रिया में हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन को अलग कर दिया जाता है। और ऑक्सीजन को कंप्रेस कर के सिलेंडरों में भरा जाता है।

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