आइये जाने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी का क्या है रोल?
प्लाज्मा थेरेपी की मदद से कोरोना वायरस के मरीजों को वेंटिलेटर पर जाने से रोकने में मदद मिलती है। भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चपेट में फस गया है।
सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस मरीजों के लिए बहुत सारी पोस्ट देखने को मिल रहे हैं जिसमें लोग ब्लड प्लाज्मा की मांग कर रहे हैं। अपर्याप्त ऑक्सीजन टैंक, रेनडिसवस इंजेक्शन, बेड, वेंटिलेटर की कमी के कारण कई लोग अपने परिजनों को प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। भारत इस समय गंभीर समस्या से जूझ रहा है।
प्लाज्मा के प्रभाव के बारे में अभी भी लोगों के मन में भ्रम है। पिछले 1 साल में हुए प्लाज्मा थेरेपी को लेकर शोध से यह साबित हो चुका है कि इससे कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की जान बचाई जा सकती है। हालांकि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों के इस बारे में अलग-अलग राय देखने को मिल रही है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद इसके बेहिसाब उपयोग पर चेतावनी दी है। लेकिन एक शोध में बताया गया है कि रोगी को शुरुआती 5 से 7 दिन के अंदर यदि प्लाज्मा थेरेपी दी जाती है तो यह काफी मददगार साबित हो सकती है। इससे कम ब्लड ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार होता है।
कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके लोगों की इम्युनिटी सिस्टम में एक एंटीबॉडी बन जाती है जो इस वायरस से लड़ने में मददगार होती है। धीरे-धीरे यह एंटीबॉडीज विकसित होकर प्लाज्मा में चली जाती है।
प्लाज्मा हमारे ब्लड का ही एक सरल हिस्सा होता है। भारत समेत कई देशों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को बचाने के लिए डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इस वायरस से लड़ने के लिए कई तरह के इलाज का उपयोग किया जा रहा है।
एचसीजी कैंसर सेंटर बेंगलुरु में हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी एंड रोबोटिक सर्जरी के प्रमुख डॉ विजय विशाल राव का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी काफी फायदेमंद है। उन्होंने 1000 से अधिक मरीजों को राजपत्रित प्रेस्क्राइब की है जिसमें सिर्फ 60% लोग इससे लाभान्वित भी हुए हैं।
उनका कहना है कि एक प्लाज्मा बैंक की स्थापना करनी चाहिए जिसमें संक्रमण से रिकवर हुए लोग आगे आकर एंटीबायोटिक के स्तर पर अपना परीक्षण करवाएं और प्लाज्मा दान करें। लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक करना है क्योंकि इससे लोगों की जान बचाई जा सकती है और दूसरे लोग भी प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित होंगे।
फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के वरिष्ठ सलाहकार डॉ भरत गोपाल का मानना है कि प्लाज्मा एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से कोरोना वायरस ठीक हो चुके व्यक्ति के ब्लड में एंटीबॉडी बन जाती है और उसे किसी दूसरे के ब्लड में ट्रांसफर किया जाता है।
प्लाज्मा थेरेपी कब दिया जाना है इस प्रक्रिया में समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि अगर मरीज की हालत बिगड़ने लगे तो उसे सबसे पहले प्लाजमा थेरेपी देना चाहिए। क्योंकि ऐसे में यह बेहतर काम करती है। ऐसे में सही मरीज का चयन भी एक महत्वपूर्ण काम होता है।
उनका मानना है कि इलाज के अच्छे परिणाम और सफलता के लिए सही रोगी के चयन के साथ सही समय और अच्छी गुणवत्ता अधिक प्लाज्मा डोनर का होना बहुत जरूरी है।
डॉ प्रीतम भी पिछले कुछ महीनों से मरीजों के परिजनों को अपील कर रहे हैं कि वह मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग करें लेकिन उनका कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी इलाज का अंतिम विकल्प होना चाहिए।
प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से कोरोना वायरस का इलाज करने को लेकर अभी एकमत नहीं है। ऐसे में डॉक्टर द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी जो मरीज वेंटिलेटर पर हैं या फिर मल्टी ऑर्गन फैलियर हुआ है उन्हें प्लाज्मा थेरेपी के माध्यम से नहीं बचाया जा सकता है।