सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए यूपी सरकार ने लगवाए थे पोस्टर, मामला सुप्रीम कोर्ट गया

सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए यूपी सरकार ने लगवाए थे पोस्टर, मामला सुप्रीम कोर्ट गया

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान पहुंचाने वाले लोगों का पोस्टर लगवा कर उन्हें 30 दिन के अंदर हुए नुकसान की भरपाई करने का आदेश जारी किया था । उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्चन्यायालय की खंडपीठ ने मामले को संज्ञान में लेते हुए पोस्टर हटाने का आदेश जारी किया था, जिसके खिलाफ योगी सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा दिया है ।

बता दें नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली लोगों ने जो हिंसा फैलाई, हिंसा फैलाने वाले लोगों का नाम और पते के साथ उनका पोस्टर सरकार ने लखनऊ में लगाया और पोस्टर लगवाने का यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए आदेश की चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मामला दाखिल किया है ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट तत्काल प्रभाव से पोस्टर हटाने का आदेश जारी किया था । अब उत्तर प्रदेश की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की अवकाश कालीन पीठ इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को करेगी । क्योंकि इन दिनों होली की छुट्टियां चल रही है इसलिए अवकाश की वजह से अवकाश कालीन पीठ तत्काल के मामलों की सुनवाई के लिए बैठेगी और इस पर फैसला लेगी ।

ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट में होली की एक सप्ताह के छुट्टी के बाद भी छुट्टी के दौरान अवकाश कालीन पीठ को किसी भी मामले की सुनवाई करनी होगी । मालूम हो कि अभी तक अवकाश कालीन पीठ किसी भी मामले की सुनवाई सिर्फ गर्मियों की छुट्टी के दौरान ही करती थी लेकिन होली की एक हफ्ते की छुट्टी के दौरान भी तत्कालीन मामले को लेकर बैठक करनी पड़ेगी । अवकाश कालीन पीठ की इस बैठक में सुनवाई न्यायमूर्ति यू यू ललित और अनिरुद्ध बोस वाली पीठ करेगी ।

इस समय उत्तर प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह है । पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि प्रदेश के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है जिसकी सुनवाई 12 मार्च को होगी । बता दें प्रदेश के उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा पोस्टर लगवाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन और हिंसा करने वाले लोगों के नाम फोटो पते के साथ छापना, उनकी निजता के अधिकार का हनन है ।

लेकिन सरकार का कहना है कि यहबीबमामला निजता के अधिकार के तहत नहीं आता है और इसीलिए उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है । उत्तर प्रदेश के एडवोकेट जनरल का कहना है कि यह मामला सार्वजनिक है उन पर निजता का अधिकार लागू नहीं होता । इस मामले में पहले से ही सारी चीजें सार्वजनिक संपत्ति हैं ।

एडवोकेट जनरल का यह भी कहना है कि यह मामला जनहित का नहीं है क्योंकि पर्यावरण संरक्षण आदि से जुड़े मामले जनहित के मामले हो सकते हैं । लेकिन यह मामला जनहित से जुड़ा हुआ नहीं है इसलिए कोर्ट को इसमें बीच में नहीं आना चाहिए ।नइस मामले में आबादी का बड़ा हिस्सा भी प्रभावित नहीं हो रहा है इसलिए भी यह मामला जनहित का नहीं बनता है ।

बता दें कि 9 मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वे तत्काल प्रभाव से पोस्टर हटवा दें क्योंकि इससे पोस्टर को लोगो के मूल अधिकार और निजता का हनन बताया था । सरकार ने 57 लोगों के नाम फोटो सहित उनके पाते के साथ लखनऊ के प्रमुख शहरों में 100 जगह होर्डिंग लगाई थी, जिसमें हसनगंज, हजरतगंज, कैसरबाग, ठाकुरगंज थाना क्षेत्र का शामिल है ।

सरकार ने इन लोगों को 1.55 करोड रुपए की संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने के लिए आदेश जारी किया है । यदि ये सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई नहीं करते हैं तो उनकी संपत्ति को ज़ब्त किया जाएगा और नुकसान की भरपाई की जाएगी ।

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