कोरोना वायरस के चलते करोड़ो लोग आ सकते हैं गरीबी की चपेट में

कोरोना वायरस के चलते करोड़ो लोग आ सकते हैं गरीबी की चपेट में

दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस के चलते दुनिया के ज्यादातर उद्योग बंद पड़े हैं और शेयर बाजार में भी इसकी वजह से लगातार गिरावट देखने को मिल रही है । हालात ये है कि अभी से ही कई सारे लोगों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है और आने वाले समय में यह स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ सकती है ।

ऐसे में कई आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था एक बड़ी आर्थिक मंदी की चपेट में आ जाएगी और इस बुरे वक्त में ऑक्सफैम ने भी चेतावनी देकर लोगों की चिंता को ज्यादा बढ़ा दिया है । ऑक्सफैम का कहना है कि अगर इस आर्थिक मंदी से निपटने के लिए जल्दी ही जरूरी कदम नहीं उठाया जाते हैं तो करोड़ों लोगों गरीबी गरीबी रेखा के नीचे चले जायेंगे और यह संख्या दुनिया की कुल जनसंख्या का 8 फीसदी तक हो सकती है ।

किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलिया के नेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा विश्व बैंक के द्वारा निर्धारित गरीबी रेखा 1.90, 3.20 और 5.50 डॉलर प्रतिदिन को आधार मान कर शोध किया गया है । इस शोध के आधार पर वैश्विक गरीबी पर कोरोना वायरस का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर तत्कालीन अल्पकालिक प्रभाव का अध्ययन किया गया और विभिन्न देशों के लिए अनुमान लगाया गया है ।

इस शोध के अनुसार वैश्विक स्तर पर पहली बार तीन परिदृश्यों को ध्यान में रखते हुए अनुमान लगाया गया है कि गरीबी का स्तर बढ़ सकता है और इसमें सबसे ज्यादा उत्तरी अफ्रीका, सब सहारा अफ्रीका और मध्य पूर्व में गरीबों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा ।

इस शोध से यह भी अनुमान लगाया गया है कि कोरोना वायरस के चलते हो सकता है 30 साल तक की तरक्की खत्म हो जाए । शोध में कहा गया है कि लोगों की आय में काफी गिरावट देखने को मिल सकती है जिसके परिणाम स्वरूप करीब 54 करोड़ लोग विश्व बैंक द्वारा निर्धारित 5.50 डॉलर प्रति दिन की गरीबी रेखा की सीमा से नीचे चले जाएंगे ।

इसमें इस बात की संभावना जताई गई है कि अफ्रीका में करीब आधे लोग अपना रोजगार खो सकते हैं । इस संकट से उबरने के लिए विकासशील देशों को 2.5 ट्रिलियन डॉलर की सहायता राशि की जरूरत पड़ेगी ।

हालांकि विश्व की तमाम आर्थिक संस्थाएं इस पर अभी से सतर्क हो गई हैं । G 20 देशों की बैठक में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष अगले सप्ताह इस संबंध में विचार कर सकते हैं । वैश्विक आर्थिक पतन को रोकने के लिए ऑक्सफैम ने एकट्रिलियन डॉलर की ऋण के लिए राशि जुटाने के लिए लोगों को एकजुट होने का आग्रह किया है ।कोरोना वायरस के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था भी ठप्प पड़ चुकी है ।

इसके सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ रहा है वो बेरोजगार हो गए है और अपने घरों को लौटने को मजबूर है । भारत सरकार इस दिशा में काम कर रही है लेकिन अभी कुछ ठीक से कहा नही जा सकता कि स्थिति क्या है ।

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