हजारों शरणार्थी बच्चे हो सकते है मानव तस्करी के शिकार
पूरी दुनिया में 7 करोड़ से अधिक शरणार्थी पाए जाते हैं, अधिकतर लोग अपनी देश में किसी ना किसी वजह से नहीं रहना चाहते और छोड़कर दूसरे देश चले जाते हैं और वहां की शरण ले लेते हैं इसलिए उन्हें शरणार्थी कहा जाता है । एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में 7 करोड़ से अधिक शरणार्थी पाए गए हैं जिसमें से ज्यादातर शरणार्थी उन देशों के लोग हैं जो या तो गृह युद्ध की शिकार है या फिर आतंकवाद के ।
उनके देशों की स्थिति इतनी खराब हो चुकी होती है कि वह किसी अन्य देश की शरण लेते हैं । मालूम हो कि दुनिया भर में फैले शरणार्थियों में आधे से ज्यादा लोग अफगानिस्तान, म्यांमार, सीरिया, दक्षिण सूडान, सोमालिया जैसे देशों से आते हैं । संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में कुल 113 करोड शरणार्थी थे ।
बता दे तुर्की में दुनिया के सबसे ज्यादा रहते हैं क्योंकि सीरिया में गृह युद्ध के हालात हैं और तुर्की सीरिया की सीमा से लगा हुआ देश है इसलिए जो लोग सीरिया से भागते हैं उनके लिए तुर्की पहला पड़ाव पढ़ा होता है । इसके अलावा बहुत सारे लोग गैर कानूनी तरीके से भूमध्य सागर के जरिए दूसरे देशों की सीमा में प्रवेश करते हैं ।
ऐसे भी उनके लिए सबसे पास का देश तुर्की ही होता है । एक अनुमान में कहा गया है कि तुर्की में आज के समय में 37 लाख शरणार्थी रह रहे हैं । बीते दिनों सीरिया और तुर्की हमले मव तुर्की ने यूरोप की तरफ शरणार्थियों के लिए रास्ता खोल दिया । तुर्की ने यूरोपीय देशों से अपील की कि वे शरणार्थियों को अपनी यहाँ पनाह दे ।
जर्मनी ने भी कुछ इसी तरह की अपील यूरोपीय देशों से की है । जो लोग एक बार अपना देश छोड़कर किसी दूसरे देश में शरण ले लेते हैं वे दोबारा से अपने देश वापस नहीं लौटना चाहते और जो लौटते भी हैं उनकी संख्या बेहद कम होती है । संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में शरणार्थियों के संबंध में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमे सीरिया, जहाँ गृह युद्ध चल रहे वहां के नागरिक जो अपना देश छोड़ दिए थे दोबारा से अपने देश जब वापस गए हैं तो वापस लौटने वालों की संख्या 210000 के आसपास थी ।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शरणार्थियों में सबसे अधिक संख्या 18 साल से कम उम्र के बच्चों की पाई गई है, इसमें 27600 बच्चे ऐसे हैं जो अपने माता पिता से बिछड़ गए हैं और किसी दूसरे देश में पनाह लिए हुए हैं ।
ऐसे में मानव तस्करी करने वाले लोगों के गिरोह के लिए ये बच्चे आसान शिकार है । इसके अलावा जर्मनी और यूरोप के देशों ऑर्गेनाइज क्राइम कराने के मामले में भी काफी आगे है । जब रूस का विभाजन हुआ था तब 1997 में करीब 175000 महिलाओं को देह व्यापार के दलदल में डाल दिया गया था ।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इसमें करीब 40 हजार लोग ऐसे हैं जिन्हें उनकी इच्छा के विपरीत दूसरे कामों में बेचा जाता है, इसमें कम उम्र की महिलाएं ज्यादातर शामिल रहती हैं । इस सच्चाई के वजह से जर्मनी ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए 1500 बच्चों को शरण देने की बात कही है ।
इन 1500 बच्चों में वे बच्चे भी शामिल हैं जो अपने परिवार से बिछड़ कर दूसरे देश में चले गए । इनको लेकर यूरोपीय संघ से वार्ता हो रही है और उन्हें शरण देने की बात कही जा रही है । जर्मनी का कहना है कि कुछ बच्चों को तत्काल मेडिकल सुविधा की जरूरत है । जब कम उम्र के बच्चे अपने मां बाप से बिछड़ कर दूसरे देश के शरणार्थी बन जाते हैं तो उनका भविष्य काफी असुरक्षित हो जाता है ।
ऐसे में इस बात की संभावना काफी बढ़ जाती है कि उन्हें किसी गलत काम में रख सकते हैं या फिर जबरदस्ती किसी गलत काम की तरफ डाला जा सकता है ।