सचिन ने अपने पसंदीदा जगह छोड़ा तब जाकर सम्भला था वीरेंद्र सहवाग का कैरियर !
सचिन को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है तो वीरेंद्र सहवाग अपनी तूफानी बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। विश्व के क्रिकेट के इतिहास में विस्फोटक सलामी बल्लेबाजों ने भारत के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर का नाम आता है।
वीरेंद्र सहवाग का खेल सौरव गांगुली की कप्तानी में निखर कर सामने आया था। सौरव गांगुली ने ही वीरेंद्र सहवाग की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें ओपनिंग करने के लिए उतारा और उसके बाद सहवाग भारतीय क्रिकेट में छा गए, बड़े से बड़े गेंदबाज और स्पिनर सहवाग के सामने अपने हथियार डाल दिए।
सहवाग की सफलता में जितना योगदान पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का है उतना ही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी है। इस बारे में पूर्व विकेटकीपर और बल्लेबाज अजय रात्रा ने बताया कि सचिन ने अपनी टीम के लिए अपना पसंदीदा क्रम ओपनिंग का त्याग किया था।
अजय रात्रा ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत के दौरान बताया कि सचिन बतौर ओपनर बेहतरीन लय में बल्लेबाजी करते थे, लेकिन उस वक्त सहवाग को पारी की शुरुआत करनी थी। इसलिए सचिन चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने का प्रस्ताव टीम को दिए।
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हालांकि बाद में सौरव गांगुली सहवाग के साथ पारी की शुरुआत की क्योंकि सौरभ गांगुली बाएं हाथ के बल्लेबाज थे, ऐसे में एक बाएं हाथ का बल्लेबाज और बाएं हाथ का बल्लेबाज मिलकर ओपनिंग करें यह रणनीति बेहद सफल रही।
अजय रात्रा का कहना है कि अगर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर उस समय चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए तैयार न होते तो सहवाग को मध्यक्रम में बल्लेबाजी करनी पड़ती लेकिन सचिन तेंदुलकर ने यह त्याग सहवाग के कैरियर के लिए किया और बतौर ओपनर सहवाग बल्लेबाजी करने आने लगे और फिर उनका असली खेल निखर कर सामने आया और वह दुनिया में छा गए।
पहली बार 26 जुलाई 2001 को तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ सहवाग को बतौर ओपनर भेजने का एक जोखिम भरा फैसला लिया और सहवाग ने पावर प्ले में ही जमकर बल्लेबाजी की और पहली ही गेंद से विपक्षी गेंदबाजों पर कहर बनकर टूट पड़े। पहली बार ओपनिंग करते हुए वीरेंद्र सहवाग ने मात्र 33 गेंद पर 54 रन की पारी खेली थी।
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हालांकि उस मैच में भारत न्यूजीलैंड से हार गया था लेकिन उस वक्त सचिन के त्याग की बदौलत ही दुनिया के सामने सहवाग की विस्फोटक बल्लेबाजी सामने आई थी और इस तरह से सचिन तेंदुलकर का मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने का फैसला गलत नहीं बल्कि सही साबित हुआ। उसके बाद दो मैच के बाद ही बतौर ओपनर बल्लेबाजी करते हुए महज 70 गेंद में ही सहवाग ने शतक बना दिया।
लेकिन इस बीच सचिन तेंदुलकर अपनी चोट से उबर कर वापसी कर लिए और सहवाग को फिर से निचले क्रम पर खेलना पड़ा। लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में गांगुली ने सहवाग से दोबारा ओपनिंग करवाई और उस सीरीज में वीरेंद्र सहवाग ने जमकर बल्लेबाजी की और उस सीरीज में वीरेंद्र सहवाग की धमाकेदार बल्लेबाजी से यह साबित हो गया कि ओपनिंग के असली दावेदार वीरेंद्र सहवाग ही हैं।
धीरे-धीरे टीम को संतुलन की जरूरत पड़ी और नए बल्लेबाज को टीम में जगह दी जाने लगी और इसी के साथ सचिन तेंदुलकर वीरेंद्र सहवाग के साथ ओपनिंग करने लगे और भारतीय क्रिकेट को आगे ले जाने का काम किया।