बच्चों को रखे तनाव फ्री नही तो 50-60 साल की उम्र होने पर हो सकता है हृदयरोग

बच्चों को रखे तनाव फ्री नही तो 50-60 साल की उम्र होने पर हो सकता है हृदय रोग

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हृदय रोग के संबंध में एक शोध से नई बात सामने आई है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई बच्चा बचपन में उपेक्षा, दुर्व्यवहार या फिर तनाव से गुजरता है तो 50 से 60 साल की उम्र होने पर उसमें हृदय रोग के होने का खतरा 50 फीसदी तक ज्यादा बढ़ जाता है।

नार्थ वेस्टर्न मेडिसिन के द्वारा किए गए इस शोध के परिणामों के बारे में बताया गया है कि जिन लोगों का बचपन पारिवारिक तनाव के बीच गुजरा रहता है उनमें हृदय रोग और दिल का दौरा पड़ने की संभावना काफी अधिक रहती है और उनमें हृदय रोग होने की स्थिति 30 साल की उम्र से ही बननी शुरू हो जाती है।

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इसलिए इस शोध के निष्कर्ष में ऐसे लोगों को डॉक्टर के संपर्क में रहने को कहा गया है। यह शोध अमेरिका के हार्ट एसोसिएशन के जनरल में प्रकाशित हुआ है और इस शोध के लिए 3600 लोगो पर अध्ययन किया गया है।

इस शोध में यह बात कही गई है कि अगर बच्चों को जीवन में अनुकूल माहौल नहीं मिल पाता है तो वह पूरी जिंदगी तनाव में ही रहते हैं। इसकी वजह से भी वो धूम्रपान करने लग जाते हैं, उनमें अवसाद और चिंता काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

जब उनकी जीवन शैली बदल जाती है तब उससे उनका बॉडी मास इंडेक्स भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चों में आगे चलकर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और सूजन की समस्या देखने को ज्यादा मिलती है।

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फीनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के मेडिकल छात्र जैकब पीयर्सन का कहना है कि इसे वयस्कों में दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है क्योंकि वह खाने को सही तरीके से पचा नहीं पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें वजन बढ़ने के साथ-साथ मोटापे की समस्या हो जाती है और धूम्रपान करने की वजह से हृदय रोग होने का खतरा भी 50 फीसदी ज्यादा हो जाता है।

हालांकि पियरसन ने यह भी कहा कि इसके लिए अभी और ज्यादा शोध किए जाने की आवश्यकता है। शोधार्थी का कहना है कि बच्चों द्वारा बचपन में किए गए अनुभव का उनके वयस्क मन पर और शरीर पर प्रभाव देखने को मिलता है ।

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इस शोध में यह भी बताया गया है कि काफी बड़ी संख्या में अमेरिकी बच्चों को दुर्व्यवहार और पारिवारिक तनाव का सामना करना पड़ता है जिसका असर उनके स्वास्थ्य के अलावा सामाजिक कामकाज पर भी देखने को मिलता है।

इस शोध को करने के लिए शामिल किए गए लोगों के परिवारिक माहौल पर विशेष ध्यान दिया गया था और उनसे यह भी पूछा गया था कि उनका बचपन किन परिस्थितियों में बिता है और यह जानकारी भी ली गई कि क्या उनके परिवार वालो को पता था कि एक बच्चे के रूप में आप क्या कर रहे? इसके बाद निकले निष्कर्ष में बताया गया कि बच्चों के तनाव लेने का असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है।

इसलिए आप अभी से सजग हो जाए और अपने बच्चों को किसी भी तरह के तनाव न लेने दे, उन्हें हर तरह के तनाव से मुक्त रखने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करे।

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