लाइलाज रोगों में भी संजीवनी बूटी बनी सुजोक थेरेपी
कोरोना के निरंतर बढ़ रहे संक्रमण से जहां आम जनमानस की सुरक्षा इम्यूनिटी पावर पर निर्भर हो गई है । वहीं इम्यूनिटी पावर वाले या अन्य लाइलाज रोगों से ग्रस्त मरीज भयाक्रांत हो कर अपने उपचारों के लिए आयुर्वेद, होम्योपैथी, एक्यूप्रेशर जैसे कई प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों अपना रहे हैं।
ऐसे में इन दिनों एक्यूप्रेशर की पद्धति की तरह ही सुजोक नामक पद्धति के भी बेहतर लाभ देखने को मिल रहे हैं इस पद्धति के जानकार भले ही कम है किंतु यह पद्धति कम खर्चीली वाह सरलता से उपलब्ध होने के साथ-साथ अपनी अभिनवता के कारण लाइलाज रोगों में संजीवनी बूटी साबित हो रही है!
आखिर क्या है ? सुजोक थेरेपी –
सुजोक थेरेपी के विशेष जानकार पातालेश्वर निवासी दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि सुजोक एक्यूप्रेशर चिकित्सा थेरेपी एक ऐसी पद्धति है जो विज्ञान और प्राचीन काल से संचित की जाने वाली राज्य और औषध शास्त्र संबंधी मिलाजुला रूप है इस पद्धति में हाथों की हथेली पर बीज द्वारा उपचार किया जाता है!
रसोई में उपलब्ध सामग्री में छुपा शर्तिया इलाज –
दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि देखा जाए तो काली मिर्च, मूंग चना, राजमा ,मेथी ,मटर, सेव बीज, हमारी रसोई में आसानी से मिल जाते हैं इन सबका सेवन तो हमारे शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होता ही है।
साथ ही शरीर के एक निर्धारित केंद्रित स्थान पर इस वर्ष कराना भी विभिन्न लाइलाज रोगों में रामबाण शुद्ध हो रहा है । सुजोक थेरेपी इसी पर आधारित है जो अत्यंत कम खर्च पर आसानी और सरलता से घर बैठे उपलब्ध हो जाती है!
इन लाइलाज रोगों का शर्तिया इलाज –
सूजोक पद्धति से दमा, साइनस, पाइल्स , सर्वाइकल , किडनी संक्रमण, पेट व आंखों से संबंधित सारे रोग मायोपिया, मोतियाबिंद, चश्मा लगना जैसी बीमारी का का शर्तिया उपचार किया जाता है ।
इसमें आंखों का चश्मा तक हट जाता है इस पद्धति की सबसे खास बात यह है कि उपचार के दौरान मरीज के शरीर में किसी प्रकार का कोई प्रतिकूल प्रभाव कभी नहीं पड़ता ।
यह चिकित्सा पद्धति प्राण वायु की तरह कार्य करती है, और शरीर में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का निर्माण करती है जिससे शरीर की सारी नसें खुल जाती है तथा रोग दूर हो जाते हैं! अधिक जानकारी और परामर्श के लिए इस पद्धति के जानकार दिलीप श्रीवास्तव के मोबाइल नंबर 917000958134 पर भी संपर्क किया जा सकता है!
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