हाथ पैर में झनझनाहट महसूस होना है स्पाइन स्ट्रोक का एक लक्षण, इसे नजरअंदाज न करे

हाथ पैर में झनझनाहट महसूस होना है स्पाइन स्ट्रोक का एक लक्षण, इसे नजरअंदाज न करे

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स्पाइन स्ट्रोक ब्रेन स्ट्रोक  होना एक बीमारी है। ब्रेन स्ट्रोक में जहां मस्तिष्क का क्रियाकलाप प्रभावित होता है और मस्तिष्क में होने वाला ब्लड सरकुलेशन बाधित हो जाता है तो वही जब स्पाई स्ट्रोक आता है तब इससे स्पाइनल कॉर्ड प्रभावित होती है। इसलिए इसे स्पाइन स्ट्रोक के नाम से जानते हैं।

दरअसल स्पाइनल कार्ड ब्रेन हमारे नर्वस सिस्टम का एक हिस्सा होता है जिसमें मस्तिष्क भी शामिल होता है। स्पाइन स्ट्रोक के मामले से कम ही पाया जाता है।

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स्ट्रोक के मामले में से महज दो तरह के मामले ही स्पाइन स्ट्रोक के देखने को मिलते हैं। स्पाइन स्ट्रोक की स्थिति में नर्व इंपल्स सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं।

यह नर्म इंपल्स शरीर के विभिन्न काम जैसे कि हाथ लाना, पैर हिलाना जैसे शारीरिक गतिविधियों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक तरह से कह ले कि यह शरीर को नियंत्रित करने का काम करते हैं।

जब शरीर में रक्त प्रवाह (ब्लड सरकुलेशन) सही ढंग से नहीं होता है तब स्पाइनल कार्ड को रक्त के साथ ऑक्सीजन और अन्य दूसरे आवश्यक तत्व मिलने बंद हो जाते हैं।

इससे स्पाइन कार्ड को नुकसान पहुंचने लगता है। स्पाइन कार्ड जब सही ढंग से काम नही कर पाता तो शरीर के क्रियाकलाप प्रभावित होने लगते हैं।

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ज्यादातर स्पाइन स्ट्रोक के मामले ब्लड सरकुलेशन में ब्लड कोट्स यानी कि ब्लड सरकुलेशन में ब्लॉकेज की वजह से होता है। कुछ कुछ स्पाइनल स्ट्रोक ब्लीडिंग के कारण भी होता है जिसे हेमरेज स्पाइनल स्ट्रोक के नाम से भी जाना जाता है।

स्पाइन स्ट्रोक के मरीजों को यदि समय पर यदि उपचार नही मिलता है तब लकवा या फिर डिप्रेशन की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

लेकिन समय रहते ही इलाज हो जाने पर व्यक्ति पूरी तरीके से ठीक हो जाता है। डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखकर उसी हिसाब से दवा या सर्जरी के जरिए इलाज करते हैं।

स्पाइनल स्ट्रोक के लक्षण :-

स्पाइन स्ट्रोक के लक्षण स्पाइनल कार्ड के प्रभावित हुए हिस्से के आधार पर देखने को मिलता है। जितना ज्यादा स्पाइनल कार्ड प्रभावित होता है उतनी ही ज्यादा क्षति पहुंचती है।

ज्यादातर मामलों में इसके लक्षण अचानक से ही दिखाई देते हैं लेकिन कुछ मामलों में स्ट्रोक आने की कई घंटे बाद इसके लक्षण सामने आते हैं। मुख्य रूप से स्पाइन स्ट्रोक के लक्षण निम्नलिखित है –

  • लकवा मारना
  • अचानक से हाथ पैर में सुन्न होना
  • मांसपेशियों में ऐंठन महसूस होना
  • गरम या ठंडा महसूस न कर पाना
  • अचानक से कमर दर्द या गर्दन दर्द होना
  • हाथ पैर में झनझनाहट महसूस होना
  • पैर की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना
  • बॉउल और ब्लेंडर को नियंत्रित करने में परेशानी उत्पन्न होना

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स्पाइनल स्ट्रोक में होने वाली परेशानियां :-

स्पाइनल कॉर्ड का यदि आगे का हिस्सा प्रभावित होता है तो बस में रक्त की आपूर्ति कम होती है। ऐसे में रोगी में पैर में अस्थाई रूप से लकवा ग्रस्त होने की संभावना रहती है अन्य जटिलताओं में सांस लेने में कठिनाई होना मांसपेशियों में कमजोरी आना और शरीर का लचीलापन प्रभावित होना डिप्रेशन होना जैसी स्थितियां देखी जाती है

स्पाइन स्ट्रोक आने का कारण :- 

यशपाल स्टॉप ज्यादातर निम्नलिखित बीमारियों में देखने को मिलता है डायबिटीज की स्थिति हाई ब्लड प्रेशर स्पाइन में चोट लगना कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई होना स्पाइन में ट्यूमर का होना स्पाइनल कार्ड को किसी तरह से अत्यधिक दब जाना

इलाज आज के दौर में नई नई तकनीक विकसित हो गई है स्पाइनल स्ट्रोक के कुछ मामले में चिकित्सक स्पाइनल कार्ड पर पड़ने वाले दबाव को दवा के जरिए ही ठीक कर देते हैं वहीं कुछ जटिल स्थिति में डॉक्टर सर्जरी के विक्रेता को अपनाते हैं इसमें बस छोटा सा चीरा लगाकर स्पाइनल कार्ड के लिए रक्त प्रवाह को पुनः शुरू करने की प्रक्रिया की जाती है और मरीज ठीक हो जाता है

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