आइए जानते हैं देशद्रोह कानून के बारे में
भारत के कानून में देशद्रोह को अपराध की श्रेणी में रखा जाता है । जब भी किसी भी व्यक्ति को देशद्रोह के तहत मुकदमा चलाया जाता है तब आईपीसी धारा 124 A के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है ।चाहे वह देश भारत हो, पाकिस्तान हो या फिर चाहे वह अमेरिका ही क्यों ना हो हर देश में सबसे बड़ा अपराध देशद्रोह का माना जाता है । ऐसे में भारत में देशद्रोह के कानून के बारे में जानना बेहद जरूरी है । हम जानते हैं देशद्रोह को एक संगीन अपराध की श्रेणी में रखा है ।
आज हम जानेगे कि भारत में किन बातों को देशद्रोह के अंतर्गत माना जाता है –
भारतीय कानून संहिता आईपीसी धारा121- 124 तक कि धारा में देशद्रोह की परिभाषा दी गई है जीसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति देश विरोधी सामग्री लिखता है या बोलता है या फिर ऐसे किसी सामग्री के साथ विरोध प्रदर्शन करता है या उसका प्रचार प्रसार करता है या राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान करता है और संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो यह देशद्रोही अंतर्गत आता है ।
देशद्रोह के जुर्म के तहत आरोपित व्यक्ति को कम से कम 3 साल की सजा या फिर आजीवन कारावास की सजा दी जाती है । भारत में देशद्रोह का कानून आजादी के पहले ही बना । 1859 भारत में किसी भी तरह के देशद्रोह कानून का कोई अस्तित्व नहीं था ।
लेकिन 1860 ब्रिटिश सरकार द्वारा देशद्रोह के संबंध में कानून बनाया गया और 1870 में उसे आईपीसी की धारा में शामिल किया गया । भारत में आजादी के पहले देशद्रोह कानून का प्रयोग उन भारतीयों के खिलाफ किया जाता था जो अंग्रेजों की बात मानने से इनकार कर देते थे । हालांकि तब से अब तक देशद्रोह कानून में कई सारे संशोधन हुए हैं लेकिन यह धारा अभी बनी हुई है ।
आईपीसी धारा 121 से124 तक देशद्रोह को परिभाषित किया गया है और उसके दंडात्मक प्रावधान के बारे में बताया गया है । आईपीसी धारा 123, 121, 122 में देश के विरुद्ध युध्द के संदर्भ में वर्णन है ।
धारा 123 और 124 राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह राष्ट्रपति और राज्यपाल के बारे में बताया गया है । भारत में आजादी से पहले राष्ट्रपति की जगह क्राउन का शासन करता था । 1962 में सुप्रीम कोर्ट नारेबाजी करने को देशद्रोह के दायरे से बाहर किया था । सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि “देशद्रोही भाषण और अभिव्यक्ति को सिर्फ तब दंडित किया जा सकता है जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा हुई हो, असंतोष फैला हो या फिर सामाजिक असंतुष्टि कर रहा हो” ।
मालूम हो 2015 गुजरात में हार्दिक पटेल को गुजरात पुलिस की ओर से देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था उसके बाद साल 2016 में जेएनयू के छात्र कन्हैया कुमार को देश विरोधी नारे लगाने पर गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में अपराध सिद्ध ना होने के कारण उन्हें जमानत दे दी गई थी ।