टाइफाइड बुखार के लक्षण और बचाव के तरीके
टाइफाइड बुखार को मियादी बुखार के नाम से भी जाना जाता है । टाइफाइड सालमोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली बीमारी है । इसमें पाचन तंत्र और ब्लड स्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन हो जाते हैं । टाइफाइड बुखार की मुख्य वजह खानपान पर ध्यान ना देना, गंदे पानी, संक्रमित जूस या पेय पदार्थ के साथ सालमोनेला बैक्टीरिया हमारे शरीर के अंदर चला जाता है और दूसरे अंगों को इंफेक्शन पहुंचा के नुकसान पहुंचाता है । टाइफाइड का इलाज जितनी जल्दी हो सके करना चाहिए जिससे टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति जल्दी से स्वस्थ हो सके अगर इसमें लापरवाही बरती जाती है तो यह खतरनाक हो सकता है ।
आइए जानते हैं कैसे फैलता है टाइफाइड बुखार और बचाव व इलाज के तरीकों के बारे में :-
टाइफाइड बुखार में बैक्टीरिया इंसान के शरीर में जाता है और यह बैक्टीरिया पानी और सूखे मल में कई हफ्ते तक जिंदा रह सकता है । इसका बैक्टीरिया दूषित पानी और खाद पदार्थों के जरिए लोगों के शरीर में पहुंचता है और आसानी से लोग इसके शिकार हो जाते हैं । इसमें शुरू में पीड़ित को हल्की सी परेशानी होती है और उसकी वजह से बहुत जल्दी टाइफाइड बुखार पहचान में नहीं आ पाता है । वहीं कुछ लोग इसकी चपेट में कई दिनों तक रहते हैं और स्वस्थ होने में काफी समय लग जाता है ।
लक्षण :-
टाइफाइड फैलने का सबसे बड़ा कारण अस्वस्थ खानपान है जिसकी वजह से टाइफाइड बुखार को बढ़ावा देने वाले बैक्टीरिया शरीर में पहुंचते हैं और छोटी आँत के जरिए ब्लडस्ट्रीम में मिल जाते हैं जिसकी वजह से टाइफाइड बुखार आने लगता है और बहुत बार इसके लक्षण आसानी से समझ में नहीं आते हैं ।
जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में –
- भूख कम लगना
- सर में दर्द रहना
- शरीर में लगातार दर्द होना
- तेज बुखार आना
- ठंड लगना
- दस्त और उल्टी आना
- कमजोरी महसूस होना
सामान्यतः टाइफाइड का बुखार 1 महीने तक रहता है अगर टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर होता है तो उसे ठीक होने में और भी ज्यादा समय लगता है । टाइफाइड का बुखार आने के दौरान शरीर काफी कमजोर हो जाता है ऐसे में पीड़ित को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए ।
जांच : –
- टाइफाइड का पता आसानी से नहीं हो पाता है इसलिए शुरुआती जांच में रोगी के खून की जांच की जाती है जिससे टाइफाइड की पुष्टिआसानी से हो पाती है ।
- इसके अलावा स्टूल टेस्ट भी किया जा सकता है जिससे शरीर में टाइफाइड के बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाते हैं
- विडाल टेस्ट टाइफाइड का पता लगाएं का सबसे नया तरीका है ।
बता दें कि टाइफाइड से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है तो भी उसे सालों तक फिर से टाइफाइड बुखार आने का खतरा बना रहता है । कभी-कभी संक्रमण ज्यादा हो जाने की वजह से मरीज को ज्यादा पेट दर्द और उल्टी की समस्या होती है ऐसे में सोनोग्राफी भी करवानी पड़ सकती है । यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब संक्रमण पेट में पूरी तरह से फैल जाता है । इसलिए टाइफाइड के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए ।
इसका इलाज जल्द से जल्द करवाना चाहिए । डॉक्टर टाइफाइड के इलाज में दवा देने के साथ-साथ खानपान को लेकर भी सलाह देते हैं । टाइफाइड के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है । टाइफाइड अगर शुरुआती चरण में रहे तो एंटीबायोटिक गोलियां और इंजेक्शन की द्वारा ही इसे दो हफ्ते के अंदर इसे ठीक किया जा सकता है लेकिन इसमें काफी परहेज करना पड़ता है । टाइफाइड के इलाज में कुछ घरेलू उपाय भी अपनाए जा सकते हैं –
- टाइफाइड के बुखार में तुलसी की चाय पीने से आराम मिलता है । इसके अलावा तुलसी की पत्ती, काली मिर्च और अदरक को पानी में उबालकर हल्का गुनगुना होने के बाद इसे चाय की तरह पिया जा सकता है ।
- टाइफाइड किसी भी मौसम में हो सकता है लेकिन गर्मियों के मौसम में टाइफाइड होने पर लू लगने के कारण बुखार आ जाता है । ऐसे में गर्मियों के मौसम में कच्चे आम का पना पिया जा सकता है ।
- टाइफाइड के बुखार के दौरान दूध, साबूदाना, चाय, खिचड़ी जैसी हल्की चीजों का सेवन करना चाहिए ।
- टाइफाइड के बुखार के दौरान प्याज के रस का सेवन किया जा सकता है । यह काफी फायदेमंद होता है । इससे बुखार जल्दी उतरता है और कब्ज की समस्या भी दूर रहती है ।