चाँद की सतह पर पानी की संभावना

चाँद की सतह पर पानी की संभावना

धरती ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जो जीवो के रहने के लिए अनुकूल है। लेकिन इंसान लगातार दूसरे ग्रहों और उपग्रहों पर यह पता लगाने की कोशिश करने में लगा हुआ है कि क्या कहीं और भी रहने लायक वातावरण है या नही।

किसी भी ग्रह उपग्रह पर रहने के लिए सबसे जरूरी चीज होती है पानी। इसलिए वैज्ञानिक पृथ्वी के अलावा अन्य जगहों पर पानी की मौजूदगी के बारे में पता लगाते रहते हैं।

अब वैज्ञानिकों ने पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि चांद की सतह पर पहले के अनुमान से कहीं अधिक मात्रा में पानी मौजूद हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां पर सीधे सूर्य की रोशनी नही पहुंच पाती है वहां पर पानी मौजूद है।

वैज्ञानिकों की बात मानी जाए तो उनके मुताबिक इन जगहों पर उपलब्ध पानी का इस्तेमाल भविष्य में मानव मिशन के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।

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इस पानी का उपयोग पीने के अलावा रॉकेट ईंधन उत्पादों में भी किया जा सकेगा। हालांकि अब तक चांद की सतह के संबंध में पानी से जुड़े जो भी शोध किए गए हैं उसमें यह कहा जाता था कि चांद पर लाखो टन बर्फ के संकेत मिले हैं और यह बर्फ ध्रुवीय क्षेत्र में स्थाई रूप से मौजूद हैं।

नेचर एस्ट्रोनॉमी में दो नई शोध प्रकाशित हुई है जिसमें पानी की मौजूदगी के स्तर को पहले से भी कहीं अधिक बताया गया है। एक नए शोध के अनुसार यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि चांद पर 40, हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी हो सकता है।

उनके अनुसार यह पिछले अनुमान से करीब 20 से भी अधिक है। इससे पहले सूरज की रोशनी पड़ने वाली सतह पर भी पानी की संभावना जताई गई थी, लेकिन कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई थी।

मैरीलैंड मे नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में हैली का कहना है कि चांद पर मौजूद कण काफी दूर-दूर है। यह न तो लिक्विड के रूप में है और न ही किसी सॉलिड के रूप में। उन्होंने बातचीत में बताया कि चांद पर जिस जगह पानी होने का दावा किया गया है वहां पर पानी का कोई गड्ढा नही है।

वहीं नासा के डायरेक्टर डायरेक्टरेट ऑफ़ साइंस में एस्ट्रो फिजिक्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर का कहना है कि हमारे पास इस बात के पहले से भी संकेत मौजूद थे जिसे हम पानी के रूप में जानते थे।

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अब इस बात की संभावना बढ़ रही है कि चांद की सतह पर सूर्य की तरफ भी पानी मौजूद हो सकता है। इस शोध से चंद्रमा की सतह को समझने में मदद मिलती है, साथ ही अंतरिक्ष में और अधिक शोध के लिए प्रेरणा मिलती है।

उन्होंने कहा कि दक्षिणी गोलार्ध में सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियर क्रेटर की सतह काफी कठोर हो सकती है जिसकी वजह से यहां पर यान के पहिए और ड्रिल खराब हो सकते हैं।

बता दें कि नासा के पहले से ही योजना है कि साल 2024 तक चांद की सतह पर एक पुरुष और एक महिला को भेजा जाये।

इस योजना में करीब 28 बिलियन डालर के खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस ताजे अध्ययन से रोबोट और एस्ट्रोनॉट को चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के स्थान को विस्तार देने में मदद मिलेगी।

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