किसी वैक्सीन के असरदार होने का क्या मतलब होता है? किन तीन कंपनियों की वैक्सीन है ज्यादा असरदार?
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत चीन के बाद वैश्विक रूप से जनवरी फरवरी के महीने से शुरू हुई थी। अब अब 10 महीने बाद इसकी वैक्सीन सामने आ रही है जिसे लेकर अलग-अलग दावे हो रहे हैं और हर वैक्सीन एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगी हुई है।
अभी कुछ दिन पहले फाइजर कंपनी ने दावा किया था कि कोरोनावायरस को रोकने के लिए उनकी वैक्सीन करीब 90 फ़ीसदी तक कारागार है।
वही रूस की तरफ से स्पुतनिक 5 वैक्सीन को ले कर दावा किया है कि कोरोनावायरस को खत्म करने में उनकी वैक्सीन 92 फ़ीसदी तक असरदार है।
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इन दोनों के बाद अमेरिका की मॉडर्ना कंपनी ने दावा किया है कि उनके द्वारा बनाई गई कोरोनावायरस की वैक्सीन 95 से अधिक असरदार है और इन्हें आसानी से सामान्य फ्रिज में रखा जा सकता है।
वही फाइजर कंपनी की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री पर रखना होगा जिसकी वजह से कई देश में पीछे हटने लगे। भारत में भी वैक्सीन को लेकर चिंता है सामने आई थी।
तीनों कंपनियों ने अलग-अलग दावे के साथ इस जानलेवा महामारी को रोकने के अपने-अपने दावे किए हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि किसी वैक्सीन के असरदायक होने का क्या मतलब होता है ?

कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली दो कंपनी ने अपने शुरुआती परिणाम और शोध के आधार पर उन्हें बेहद असरदार बताया है। उम्मीद जतायी जा रहा है कि यदि वैक्सीन का परिणाम इसी तरह रहा तो इस वैश्विक महामारी पर जल्दी नियंत्रण पा लिया जाएगा।
अगर बात इनके असरदार होने की करे तो यह कुछ कम ज्यादा हो सकती है। इसके लिए इन वैक्सीन के प्रत्येक 100 मरीजों पर परीक्षण के बाद जो रिजल्ट आएगा वही परिणाम तय करेगा।
लेकिन इनके शुरुआती परिणाम काफी असरदार रहे हैं। इसका मतलब यह है कि वैक्सीन को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा कर इस कोरोना वायरस महामारी से लोगों को बचाया जाना संभव हो सकता है।
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अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी का कहना है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत देने के लिए सबसे जरूरी है कि यह कम से कम 50 फीसदी असरदार हो क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो वैक्सीन महज एक फ्लू वैक्सीन बनकर रह जाएगी और इसकी असरदायिकता 20 से 60 फीसदी ही रहेगी, साथ ही कोरोना वायरस वैक्सीन के असर में यह देखना भी जरूरी है कि वैक्सीन विभिन्न जगहों पर रहने वाले विभिन्न आयु वर्ग के लोगों पर क्या असर करती है।
अभी तक जिन दो वैक्सीन को सबसे ज्यादा प्रभावी माना गया है उनका आधार कोरोना वायरस के लक्षणों का प्रभावहीन बनाना है। लेकिन यह बात भी महत्वपूर्ण है कि यदि किसी को वैक्सीन दी जाती है तब हम यह नही जानते हैं कि उस व्यक्ति को दोबारा संक्रमा होगा या नही।
यदि उस व्यक्ति में संक्रमण नही देखते हैं लेकिन संक्रमण रहते हैं तब इस संक्रमण के फैलाव को तेजी मिलेगी और यह हानिकारक साबित होगा और कुछ भी नही किया जा सकेगा।
इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि यह वैक्सीन किस तरह से लोगों को इस वायरस से बचा सकेगी। इसलिए इस पर लगातार शोध कार्य किए जा रहे हैं।