यदि पूरी दुनिया का इंटरनेट ठप पड़ जाए तो क्या होगा..?

यदि पूरी दुनिया का Internet ठप पड़ जाए तो क्या होगा..?

इन दिनों भले ही Online  दुनिया का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है लेकिन आज से करीब तीन से चार दशक पहले इंटरनेट जैसी चीज के बारे में लोग जानते भी नहीं थे।

Internet का यह जंजाल तीन से चार दशक पहले ही शुरू हुआ और आज हालात यह है कि यह दुनिया इंटरेस्ट इंटरनेट के बिना नही रह सकती है।

कोरोना वायरस महामारी के दौर में जितना जरूरी सांस लेने के लिए हवा तंगी, उतनी ही जरूरी हो गई थी इंटरनेट की।

Internet Service  जिससे कारोबार चलता रहे। लेकिन मान लो अगर यह इंटरनेट एक दिन धोखा दे जाए तो क्या होगा ?

लोगों के मन में यह सवाल इसलिए भी आया है क्योंकि 14 दिसंबर 2020 को शाम को जब जीमेल, यूट्यूब, गूगल डॉक्स, इंटरनेट कंपनी Google की कई सारी सेवाएं लगभग एक घंटे तक के लिए ठप हो गई थी। इसका असर न सिर्फ भारत पर पड़ा बल्कि दुनिया के तमाम देशों में देखने को मिला।

एक तरह से जीमेल सेवा का उपयोग करने वाले हर Consumer के लिए एक संदेश मिल गया है कि यह स्क्रीन सेवा अस्थाई रूप से प्रभावित हो सकती है।

हालांकि Google ने इसका कोई स्पष्ट कारण तो नही बताया है लेकिन कहा गया है कि सरवर में कुछ समस्या आने के चलते पूरे दुनिया में यह दिक्कत देखने को मिली।

हालांकि यह समस्या सिर्फ इंटरनेट कंपनी गूगल की सेवाओं के संबंध में ही देखी गई है। एक अनुमान के अनुसार यदि किसी कारण से पूरी दुनिया का समूचा Internet बैठ जाए तब इस दुनिया का क्या होगा?

सर्वर फेल हो जाने से, इंटरनेट केबल कट हो जाने से और साइबर हमलों की वजह से दुनिया के विभिन्न क्षेत्र में किस तरह की त्रासदी जन्म लेगी इसका अनुमान भी नही लगाया जा सकता है..!

लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती हैं तो यह स्थिति दुनिया भर में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमलों से भी ज्यादा मुश्किल की स्थिति होगी।

 इंटरनेट शटडाउन ( Internet Shutdown ):-

सवाल यह है कि अगर इंटरनेट शटडाउन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब इस दुनिया का क्या होगा? इन दिनों इंटरनेट बाधित होने की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।

कई स्तर पर इसके परिणामों के आकलन करने की भी कोशिश की जा रही है। आज से करीब 3 साल पहले साल 2017 में अमेरिकी विश्वविद्यालय स्टैनफोर्ड के शोधकर्ता और मनोवैज्ञानिक जेफ हैंककॉफ अपने शोधार्थियों के सामने Internet Shutdown की स्थिति सामने रखी, तब पता चला कि इन स्थितियों में उन्हें कुछ अशुभ घटित होने जैसा महसूस हुआ।

Online Communication (ऑनलाइन कम्युनिकेशन ) से जुड़े मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रक्रिया के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि Internet Shutdown के छोटे से दौर में भी कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। अगर यह पूरी तरीके से बंद हो जाए तो दुनिया की सोशल लाइफ पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलेगा।

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आज के दौर में एक व्यक्ति या एक परिवार के रूप में Internet Shutdown का प्रभाव भले ही सीमित हो लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं कंपनियों के कारोबार, चिकित्सा और संचार क्षेत्र के अलावा सैटेलाइट के संचालन पर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।

कोरोना वायरस महामारी के दौर में किसी भी वैक्सीन के ट्रायल और टीकाकरण पर इसका असर भी देखा जा सकता है।

बता दें कि दिन-ब-दिन हम लोगों की Internet पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। 20 साल पहले इंटरनेट के रुक जाने से शायद इतना बड़ा संकट कभी न पैदा हुआ होता जितना अब हो सकता है!

उदाहरण के लिए साल 2000 में कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता स्टीन लोम्बर्ग अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 20 बड़ी कंपनियों के वित्तीय तिमाही की रिपोर्ट का विश्लेषण किया और यह जानने की कोशिश की कि अगर Internet चार दिन के लिए बाधित हो जाता है, तब उनके बिक्री और कमाई पर किस तरह का असर पड़ेगा?

उस वक्त यह पता चला था कि इससे कारोबार पर मामूली असर पड़ेगा। लेकिन इस अध्ययन में यह भी देखने को मिला कि जिन कंपनियों या कम्पनी के कर्मचारी के ज्यादातर कामकाज Internet पर निर्भर थे उनकी काफी नुकसान हुआ।

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दुनिया की बहुत बड़ी आबादी आज Internet पर निर्भर हो गई है। आज से 25 साल पहले 1995 में दुनिया के कुल आबादी का महल दो फीसदी से भी कम हिस्सा इंटरनेट पर आश्रित था।

इनमें अमेरिका और यूरोप के ही कुछ और नागरिक ही थे जो उस समय इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे।उस समय इंटरनेट लोगों के कामकाज के बजाय लोगों की जिज्ञासा का विषय हुआ करता था।

लेकिन आज 25 साल बाद स्थितियां बहुत ज्यादा बदल गई है। आज करीब 4.66 अरब लोगों के पास इंटरनेट है और वे इसके सक्रिय उपभोक्ता है दुनिया की करीब 60 फीसदी आबादी इसके अंतर्गत आ जाती है। वहीं इसमें करीब 91% यूज़र ऐसे हैं जो Internet  का इस्तेमाल अपने स्मार्टफोन के जरिए करते हैं।

Internet अगर बंद हो जाएगा तो क्या होगा? इसका सिर्फ यही जवाब हो सकता है कि दुनिया जैसे जैसे विकसित होती जाएगी इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ती जाएगी और इसे पूरी तरह से बंद करना काफी मुश्किल होगा!

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