समुद्र का पानी इतना खारा क्यों होता है और कहां से इसमें इतना नमक आ जाता है
जब भी हम समुद्र के पानी की बात करते हैं तो सबसे पहले मन में यही विचार आता है कि समुद्र और महासागरों का पानी बेहद खारा होता है। यहां पीने लायक नहीं होता है।
लेकिन बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि आखिर समुद्र और महासागरों का पानी इतना खारा क्यों होता है और इसमें इतना नमक कहां से आता है। दरअसल समुद्र का पानी खारा होने की वजह से ही इसे पीने के प्रयोग में लोग नहीं लाते हैं।
दुनिया भर के वैज्ञानिक इस बात को खोजने में लगे हुए थे कि समुद्र में इतना सारा नमक आता कहां से है और आज हम इसी के बारे में जानेंगे।
जैसा कि हम सब जानते हैं पृथ्वी पर 70 फीसदी पानी पाया जाता है जिसमें से पृथ्वी पर पाए जाने वाले फुल पानी का 97 फ़ीसदी हिस्सा महासागरों और समुद्र के जल के रूप में है।
अमेरिका के नेशनल ओसीओनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि अगर सभी समुद्र से पूरा नमक निकाल कर जमीन पर फैला दिया जाए इससे करीब 500 मीटर मोटी परत जमीन पर बन सकती है।
समुद्र में नमक कहां से आता है ?
सवाल यह है कि समुद्र में नमक आता कहां से है? दरअसल समुद्र में नमक आने के दो स्त्रोत होते हैं। समुद्र में सबसे ज्यादा नमक नदियों के द्वारा लाया जाता है।
जैसा कि हम सब जानते हैं बारिश का पानी थोड़ा सा अम्लीय होता है और बारिश कझ पानी जब चट्टानों पर पड़ता है तब इससे अपरदन होता है और इससे आयन की क्रिया होती हैं और यह आयन नदी के रास्ते समुद्र में बेहतर मिल जाते हैं।
इस प्रक्रिया को होने में थोड़ा वक्त लगता है और यह प्रक्रिया करोड़ों सालों से पृथ्वी पर होती आ रही है। इस तरह से समुद्र में नमक का पहला सबसे बड़ा स्त्रोत नदियों का पानी ही है।
समुद्र में नमक आने का दूसरा स्त्रोत है समुद्र तल से मिलने वाली उसके जलीय द्रव्य है। दरअसल यह खास तरह के छिद्र होते हैं जो समुद्र में हर जगह पर नही होते हैं बल्कि कही काजी कुछ कुछ छिद्रों और दरारों में से आते हैं।
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यह पृथ्वी की अंदरूनी सतह के संपर्क में होते हैं और इन्हीं छिद्रों और दरारों के जरिए समुद्र का पानी पृथ्वी की अंदरूनी सतह के संपर्क में आकर गर्म हो जाता है और कई सारी रासायनिक क्रियाएं इस दौरान होती हैं।
इस दौरान महासागरों और समुद्रों के पानी में अधिक मात्रा में क्लोरीन और सोडियम के आयन होने लग जाते हैं और यह दोनों आइए मिलकर समुद्री जल में घुल जाते हैं और 85 फ़ीसदी हिस्सा आयन के घुलने के ही वजह से होते हैं।
इसके बाद इसमें मैग्नीशियम और सल्फेट का 10 फ़ीसदी हिस्सा भी मिल जाता है। इसके अलावा कुछ और आयन भी होते हैं लेकिन उनकी मात्रा बेहद कम होती है।
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इस तरह से नदियों के जल के अलावा समुद्र में नमक का दूसरा स्त्रोत छोटे-छोटे छिद्रों और दरारों के माध्यम से होने वाले आयन हैं जिनके जरिए समुद्र का पानी खारा हो जाता है। और उसमें नमक मिल जाता है।
दरअसल समुद्र के पानी में खारापन हर जगह एक समान नहीं होती है। यह तापमान, वाष्पीकरण और बारिश के कारण अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होता है। भूमध्य रेखा और ध्रुवों के पास के इलाकों में खारेपन की मात्रा बेहद कम होती है। लेकिन बाकी जगहों पर यह काफी ज्यादा मात्रा में होती है।