आइए जानते हैं सिक्के गोल क्यों होते हैं
क्या आपने कभी सोचा है कि ₹1,₹2, ₹5 ,₹10 के यह सिक्के आखिर गोलाकार में ही क्यों होते हैं? या फिर दुनिया के तमाम देशों के सिक्के गोलाकार में ही क्यों होते हैं? आजकल क्रिप्टोकरंसी का प्रचलन हो रहा है।
ज्यादातर क्रिप्टोकरंसी जैसे कि डॉकवाइज, बिटकॉइन का आकार भी गोल ही प्रतीक के रूप में दिखाया जा रहा है। ज्यादातर देशों में गोलाकार के ही सिक्के बनाए जा रहे हैं।
दुनिया भर के लगभग सभी देशों में अब सिक्कों का प्रचलन है। वजन और मूल्य के आधार पर इन सिक्कों के बीच अंतर भी देखने को मिलता है।
लेकिन सबसे खास बात तो यह है कि सालों पहले यह सिक्के चौकोर या फिर बीच में छेद वाले होते थे। वो सिक्के उस समय सिक्के प्रचलन में हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ अब सिक्कों का आकार बदलकर गोल हो गया है। आज हम जानेंगे सिक्कों के इतिहास के बारे में और यह गोल क्यों होते हैं?
प्राचीन समय में भारत में सिक्कों को कर्षपना या पुराण नाम से जाना जाता था। छठी शताब्दी में इन सिक्कों को भारत में महाजनपद कहा गया है। इसमें गांधार, कुरु, पांचाल, शाक्य, सुरसेना, स्वराष्ट्र जैसे महाजनपद शामिल है।
इन सिक्कों का अलग अलग चिन्ह होता था जो उनकी पहचान हुआ करते थे। और यह आकार में भी अलग अलग होते थे। गंधार में बने सिक्कों पर उस समय बैल का चयन हुआ करता था। दक्षिण पांचाल में बने सिक्कों पर स्वास्तिक और मगध के सिक्कों पर कई तरह के चिन्ह बने होते थे ।
भारत में आजादी के बाद 1950 में ₹1 का पहला गोल सिक्का जारी किया गया था, जिसे भारत सरकार द्वारा जारी किया गया था। इसके बाद साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान ₹2 और ₹5 के सिक्के जारी हुए थे। इन सिक्कों की सबसे खास बात यह है कि इनमें एक तरफ कॉमनवेल्थ गेम का लोगो और दूसरी तरफ अशोक स्तंभ बनाया गया था।
सिक्कों को गोल बनाने का कारण कई सारा बताया जाता है। कहा जाता है कि सिक्कों को आसानी से इकट्ठा करने और उन्हें गिनने में आसानी हो इसके लिए इन्हें गोल बनाया जाने लगा है। हालांकि अभी तक इस बात को लेकर कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हुए हैं कि सिक्कों को आखिर गोल आकार में ही क्यों बनाया जाने लगा है?
गोल के अलावा दूसरे आकार के सिक्कों की सबसे बड़ी खामियां होती है कि उन्हें तोड़ना या फिर किनारों से काटना बेहद आसान होता है। लेकिन अगर सिक्कों का आकार गोल होता है तो उन्हें काटना या फिर मोड़ना आसान काम नहीं होता है। यह काफी मुश्किल हो जाता है। वहीं गोलाकार वाले सिक्कों के साथ उनके वैल्यू को आसानी से नहीं घटाया जा सकता है।
सिक्के को गोलाकार में बनाने के पीछे तरह तरह के लोग अपने अपने तर्क देते हैं। एयरपोर्ट ऑफिस में सामान खरीदने, रेलवे स्टेशन पर वजन चेक करने के लिए वेंडिंग मशीन में सिक्के डाले जाते हैं।
इन मशीनों में गोल सिक्के डालना काफी आसान होता है। शायद यही वजह है कि सिक्कों को गोलाकार में बनाया जाना शुरू किया गया। आज दुनिया के लगभग सभी देशों में सिक्के को गोलाकार में ही बनाया जाता है।