कामकाजी महिलाएं खुश और सेहतमंद रहती है !
एक सर्वेक्षण में नई बात सामने आई है कि कामकाजी महिलाएं खुश और सेहतमंद रहती है । जैसा कि भारत के संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर ने कहा था ‘मैं किसी समुदाय के प्रति 200 संविधान में महिलाओं द्वारा की गई प्रगति से मांगता हूं” ।अगर आज भीमराव अंबेडकर होते तो उन्हें भारतीय महिलाओं पर गर्व होता कि वह सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और कई सारे मामलों में तो अपने समकक्ष पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया है ।
चाहे बात अंतरिक्ष के क्षेत्र में हो या फिर राजनीति की या फिर बीमारियों से इलाज करना हो या फिर कोई का निर्माण कार्य लगभग हर चीज में महिलाएं अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं । कभी एक उद्यमी के रूप में, तो कभी नेता और कभी कामकाजी महिला तरह-तरह की भूमिका निभाते महिलाएं देखी जाती हैं ।
यही नहीं महिलाएं घर और ऑफिस में संतुलन बनाए रखना बखूबी जानती हैं । हालांकि यह आसान काम नहीं होता है और यही वजह है कि महिलाओं में थकावट देखने को मिलती है । महिलाओं के संबंध में अच्छी बात सामने आई है एक रिसर्च में बताया गया है कि जो महिलाएं जॉब करती हैं वह लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं और खुशहाल जिंदगी जीती हैं ।
यह सर्वेक्षण 1976 से अब तक यानी 36 साल तक चला और इस सर्वेक्षण में 5100 महिलाओं ने भाग लिया, जिनकी उम्र उस वक़्त 30 से 44 साल थी । अब इन महिलाओं की 66 से 80 साल उम्र तक उनके पेशेवर और व्यक्तिगत प्रगति, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समेत कुछ अन्य चीजों का अध्ययन किया गया ।
इस संबंध में किए गए रिसर्च का दावा है कि कामकाजी महिलाओं की तुलना गृहिणी महिलाओं से की गई और पाया गया कि जो महिलाएं अपनी उस उम्र के दौरान 20 साल तक लगातार काम की और कमाया, उनका ताउम्र शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा रहा और शारीरिक दिक्कतें कम हुई ।
वही जो महिलाएं जॉब नहीं करती थी जैसे की गृहिणी थी उनकी सेहत में मुश्किलें देखी गई । जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट द्वारा हुई रिसर्च के अनुसार कामकाजी महिलाएं रिटायरमेंट के बाद बेहतर स्वास्थ्य का आनंद लेती हैं । उन्हें अन्य महिलाओं की तुलना में अवसाद के समस्या भी कम होती हैं ।
इस शोध को करने के लिए कामकाजी महिलाओं को भी स्टडी किया जो ऑफिस में लगातार नकारात्मक अनुभव से गुजरी और यह जानकर बिल्कुल हैरानी नहीं हुई थी रिसर्च में पाया गया कि जो महिलाएं ऑफिस में नकारात्मक अनुभव कर रही थी उनका असर उसकी सेहत पर भी पड़ा, जिन्हें ऑफिस में भेदभाव का शिकार होना पड़ा उन्हें अपनी नौकरी से संतुष्टि कम मिली और उन्होंने काम में प्रोग्रेस नही किया, साथ ही उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट देखने को मिली ।
एझ रिसर्च से यह साबित होता है कि जो कामकाजी महिलाएं है वो एक बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन जीती है क्योकि यह उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है और उनके कॉन्फिडेंस को भी बढ़ाता है ।