विश्व पृथ्वी दिवस: अभी नही चेते तो रहने लायक नहीं बचेंगे धरती
हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। सबसे पहली बार पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 1970 को अमेरिका में अर्थ डे के रूप में मनाया गया था।
पृथ्वी दिवस को मनाने का मकसद पृथ्वी पर मौजूद समस्त जीव-जंतुओं पेड़ पौधे वनस्पति को बचाना था।
इसके अलावा पृथ्वी दिवस को मनाने का मकसद राजनीतिक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण संबंधी नीतियां बनाकर उन्हें अमल में लाने के लिए दबाव बनाना भी है।
साथ ही दुनियाभर में लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना इस दिवस मनाने का प्रमुख मकसद रहा है।
अमेरिका द्वारा शुरू किए गए इस अभियान को दुनिया के कई देशों द्वारा लगातार समर्थन मिलता रहा है। 22 अप्रैल 1990 से पृथ्वी दिवस (Earth Day) के रूप में मनाने के लिए 181 देशों में रहने वाले दो करोड से भी अधिक लोगों ने अपना समर्थन दिया और इसमें हिस्सा लिया था।
आज पृथ्वी दिवस सिर्फ एक अभियान नहीं बल्कि एक चिंता भी है, जिससे धरती को इंसानों के रहने लायक बनाए रखा जा सके।
पृथ्वी दिवस एक ऐसा अवसर है जिस दिन दुनिया के समक्ष सभी शक्तिशाली देश अपने आपसी मतभेद को भुलाकर एक मंच पर पृथ्वी के संरक्षण के लिए आते हैं।
पृथ्वी दिवस मनाने की वास्तविकता –
आज के दौर में हर साल पृथ्वी दिवस दुनिया भर में पर्यावरण प्रेमी और सरकारों द्वारा पृथ्वी को बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराने के तौर पर जाना जाता है।
इस दिन सब लोग एकजुट होते हैं। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि धरती के बढ़ते तापमान और लगातार बढ़ते प्रदूषण से धरती की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ रही है।
दुनिया के कई देशों ने इसे लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की है। लेकिन ज्यादातर काम कागजों पर ही किए गए हैं।
जमीनी स्तर पर किए गए प्रयास दिख नहीं रहे हैं। यही वजह है कि पृथ्वी की स्थिति लगातार नाजुक बनती जा रही है।
पृथ्वी को ले कर चिंता की बाते –
- पृथ्वी पर आप जलवायु परिवर्तन का असर दिखने लगा है। ऐसे में 3 अरब की आबादी के लिए यह खतरे की घंटी जैसा है।
- पिछले 6 हजार सालों से यहाँ उत्तर चर अचर फलते फूलते रहे हैं। लेकिन अब यह मुश्किल में पड़ गई है। खास बात यह है कि पृथ्वी की इस स्थिति के लिए मानव ही जिम्मेदार है।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर मानव की गतिविधियां लगातार इस तरह से पृथ्वी की प्रकृति में हस्तक्षेप करती रही तो साल 2070 तक यह पृथ्वी रहने लायक नहीं बचेगी क्योंकि पृथ्वी का तापमान इतना ज्यादा हो जाएगा कि इसे सहा नहीं जा सकेगा।
- संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने और उन्हें अमल में लाने की कोशिश लगातार जारी है। लेकिन इन सब के बावजूद दुनिया हर दिन 3 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की तरफ बढ़ती जा रही है।
- ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। अगर पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया तो ग्लोबल वार्मिंग की वजह से इतनी गर्मी हो जाएगी कि यहां पर रह पाना मुश्किल हो जाएगा।
- सबसे खास बात यह है कि इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और मध्यपूर्व के कुछ हिस्से होंगे।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पृथ्वी के तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है तो इसलिए करीब एक अरब लोग प्रभावित होंगे।
- कोरोनावायरस महामारी के दौर में काफी संख्या में लोग ऑक्सीजन की कमी की वजह से मर रहे है जो कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी की दयनीय स्थिति की वजह से है।
लोगों को अब भी समय है चेत जाना चाहिए नही तो इंसानों का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा।