आइये जाने विश्व धरोहर दिवस का इतिहास महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण बातें
विश्व धरोहर दिवस ( World Heritage Day ) :-
किसी भी संस्कृति, धरोहर, व इतिहास को सहेजने में एक पहला कदम धरोहर का संरक्षण माना जाता है। सालों पहले बनाए गए निर्माण का संरक्षण करना इसलिए भी बेहद जरूरी हो जाता है जिससे उनके बारे में आने वाली पीढ़ी को बताया जा सके।
जिस तरह से इंसान बूढ़ा होता है इमारतें भी बूढ़ी और पुरानी होती हैं। ऐसे में यह जर्जर अवस्था में भी पहुंच जाती हैं।
हमारे स्वर्णिम इतिहास का कोई प्रमाण शेष बचा रहे इसके लिए हर साल 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है। आइए जानते हैं विश्व धरोहर दिवस का इतिहास महत्व और उससे जुड़ी अन्य बातें।
विश्व धरोहर दिवस का इतिहास :
सबसे पहली बार विश्व धरोहर दिवस 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल अकाउंट ऑफ़ मोनुमेंट्स एंड साइट्स के द्वारा मनाया गया था।
उसके पहले 1959 में अंतरराष्ट्रीय संगठन द्वारा विश्व की प्रसिद्ध इमारतों व स्थलों के संरक्षण के लिए एक प्रस्ताव लाया गया था।
इस प्रस्ताव को स्टॉकहोम में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित करवाया गया था। इसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज सेंटर की स्थापना की गई।
18 अप्रैल 1978 को दुनिया के 12 स्थलों को विश्व स्मारक स्थल की सूची में सूचीबद्ध किया गया था। उसी के बाद से 18 अप्रैल को विश्व स्मारक दिवस के रूप में मनाया जाना शुरू हुआ था।
उसके बाद 1983 में यूनेस्को ने नवंबर में किस दिवस की को विश्व विरासत या धरोहर दिवस के नाम से प्रचलित किया।
महत्त्व –
हर देश और स्थान का अपना अतीत गौरवमई रहा है। इनके दर्शन धरोहरों के द्वारा ही होते हैं। इन धरोहरों से अतीत के किस्से, निर्माण, युद्ध, महापुरुष, जीत हार, कला एवं संस्कृति जैसे तथ्य इससे से जुड़े होते हैं।
आज हमारे देश भारत के पास भी अपने अतीत की एक अलग ही कहानी है, जो इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में अंकित है। इतिहास ऐसे ही स्थलों के द्वारा बनता है। इतिहास के अस्तित्व का जीवंत प्रमाण यह धरोहर ही होती हैं। यह धरोहर ही अपनी गाथा गाती हैं।
विश्व धरोहर दिवस मनाने की जरूरत –
घूमना फिरना आजकल बहुत सारे लोगों का शौक है। लगभग सभी को घूमना फिरना अच्छा लगता है। लोग एक से बढ़कर एक स्थलों पर घूमने जाते हैं।
बहुत सारे लोग किसी विशेष स्थल की कला, संस्कृति, इतिहास से प्रभावित होते हैं। ऐसे में उन स्थलों पर घूमना ही नहीं बल्कि उस स्थान का संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है और इस जिम्मेदारी को समझना ही हमारा कर्तव्य होता है जो हम अक्सर ही भूल जाते हैं।
इन ऐतिहासिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ करना, खिलवाड़ करना दिन-ब-दिन सामान्य से बात होती जा रही है। इसलिए सदियों पुराने हमारे राष्ट्र के विरासत को सही समय पर संरक्षित करने की जरूरत है। इसी के मकसद से विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है।
आजकल धरोहरों के संरक्षण के लिए संपूर्ण विश्व में कई सारे संगठन लगातार सक्रिय हैं। विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर फोटो वॉक, हेरीटेज वॉक जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कई सारे लोग इन प्राचीन धरोहरों की यात्रा करते हैं और उनके बारे में जानकारियां एकत्रित करते हैं,साथ ही उनके संरक्षण की शपथ भी लेते हैं।
कोरोना वायरस महामारी के दौर में यह सारे कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित हो रहे हैं, धरोहरों का ऑनलाइन टूर करवाया जा रहा है।