जीवन जीने की कला है योग

ऋषि मुनियों की धरोहर है योग। योग का अर्थ है जुड़ना। विष्णु पुराण के अनुसार “योगः संयोग इत्युक्त: जीवात्मा परमात्मने”।
जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णता मिलन ही योग है।

अष्टांग योग, योग की सबसे प्रचलित धारा है यम, नियम, आसन प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि। शिव ही युग के प्रवक्ता कहलाए जाते हैं। योग तनाव से मुक्त करता है, शरीर में लचीलापन लाता है, शरीर को मजबूत बनाता है, शरीर में सकारात्मक ऊर्जा भरता है।

सकारात्मक विचारों की उत्पत्ति करता है हमारे जीवन शैली को बदलकर चेतना को विकसित करता है योग विद्या का उल्लेख प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है।

योग ही तो है जो ऋषि-मुनियों को सदैव से स्वस्थ रखता है। और बीमारियां उनसे कोसों दूर रहती है। ऋषि मुनियों का योग एक अहम हिस्सा है आज 21वीं सदी में न जाने हमारे जीवन से योगा कहां लुप्त होते जा रहा है हमारी कुछ बुद्धिजीवी तकनीकी की ओर बढ़ते जा रहे हैं ।

जिम में जाकर अपने शरीर को ठीक कर रहे हैं मगर योगा से दूर भाग रहे हैं । स्वस्थ शरीर ही अमूल्य निधि हैं और योग द्वारा ही इसकी प्राप्ति हो सकती है ।

यदि बनोगे योगी तो तन मन होगा निरोगी भारत में योग का इतिहास कई वर्षों पुराना है मानसिक शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से लोग प्राचीन काल से ही इसका अभ्यास करते आ रहे हैं ।

योग के जन्मदाता आदि योगी शिव जी ही है भारत में योग की शुरुआत का श्रेय महर्षि पतंजलि को ही जाता है भारतीय ऋषि-मुनियों ने योग के द्वारा मानसिक शारीरिक बौद्धिक का विकास बताया है ।

योग करने से हमारा शरीर निरोगी बलवान बनता है योगाभ्यास करने से कई रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है (योगा:कर्मसु कौशलम)
कर्मों में कुशलता ही योग है।

योग का उद्देश्य योग के अभ्यास से कई लाभ हो के बारे में दुनिया भर में जागरूकता लाना है आज हम तकनीकी रूप से जितना आगे बढ़ रहे हैं उतना ही हम शारीरिक रूप से बीमारियों को अपने अंदर जाने की आजादी दे रहे हैं।

अनुशासन से अनुशासन ही बनते जा रहे हैं तनाव, अशांति, बेचैनी, चिंता, बस यही जीवन का हिस्सा बनकर रह गयें हैं।
पैसे कमाने की होड़ सी लग गई है सारी सुख सुविधा पैसों से खरीदना चाहते हैं।

एक सीमित दायरे में अपने आप को बांध दिया है भारतीय जिंदगी में इतने व्यस्त हो गए हैं कि यदि कोई शारीरिक कष्ट है तो तुरंत इलाज के लिए हर वक्त बैग में दवाइयां व पैसे ही मिलेंगे मगर पूरी तरह बीमारी को जड़ से दूर करने के लिए जरा सा भी वक्त नहीं निकालेंगे।

शासन के लिए मगर डॉक्टर की लंबी लाइन में वक्त बरबाद करने में कोई हर्ज नहीं लेकिन योगा करने के लिए वक्त नहीं बताइए कैसे सुंदर सृष्टि की रचना होगी ।

आइए सब मिलकर योग करें जीवन को सुखमय बनाएं समाज को स्वस्थ व बलवान बनाएं बस रोज अपने लिए व परिवार के लिए समय पर उठकर 30 मिनट निकाले स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज की ओर कदम बढ़ाए योग को अपना दोस्त बनाएं।

अनुलोम विलोम प्राणायाम कपालभाती सूर्य नमस्कार से जड़ से अपनी बीमारियों को दूर भगाए और समस्त रोगों से निजात पाएं।
योगा दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।

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लेखिका :-गीता पति ( प्रिया) उत्तराखंड

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