नवाबों के खानदान से सम्बंध रखने वाली इस हीरोइन ने पहली बोलती फ़िल्म में काम किया था

नवाबों के खानदान से सम्बंध रखने वाली इस हीरोइन ने पहली बोलती फ़िल्म में काम किया था

फिल्मों का नाम लेने पर सबसे पहले दिमाग में बॉलीवुड स्टार्स का चेहरा सामने आता है क्योंकि आज के समय में हम सभी बॉलीवुड सेलिब्रिटीयो की जिंदगी से सोशल मीडिया के जरिए रूबरू होते रहते हैं । लेकिन एक वक्त ऐसा था जब फिल्म देखना सिर्फ अमीरों के बस की बात थी । साधारण आदमी तक पहुँच भी नहीं पहुंच पाता था ।

क्या आपको पता है पहली बोलती फिल्म का नाम ? हम में से ज्यादातर लोगों को पता होगा कि भारत की पहली बोलती फिल्म का नाम था – आलम आरा । लेकिन इसके पहले भारत की पहली फिल्म – राजा हरिश्चंद्र को कहा जाता है और इस फिल्म में महिला का किरदार निभाने के लिए जब कोई महिला नहीं मिली थी तब एक आदमी ने महिला का किरदार निभाया था ।

लेकिन सबसे पहले “आलम आरा” नाम की फिल्म में, जिसे भारत की पहली बोलती फिल्म भी कहा जाता है, उसमें नायिका का किरदार एक महिला ने निभाया था और इसी के साथ शुरू हुआ था फिल्मों में महिलाओं के काम करने का सिलसिला । पहली हीरोइन जिसने फिल्मों में काम करना सुरु किया था उस अभिनेत्री का नाम था – जुबेदा ।

जुबैदा ने उस समय फिल्मों की दुनिया में कदम रखा था जब महिलाओं के लिए इसे सही नहीं माना जाता था । आपको बता दें कि जुबैदा ने मात्र 12 साल की उम्र में हिंदी फिल्मों में काम करने की शुरुआत की थी । जुबेदा की पहली फिल्म कोहिनूर थी जिसमें उन्होंने 12 साल की उम्र में काम किया था । मालूम हो कि यह फिल्म 1920 में आई थी ।

जुबैदा ने फिल्मों की दुनिया में कदम अपनी बहन सुल्ताना के साथ रखा था । जुबेदा का जन्म गुजरात के सूरत में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था । उनके पिता नवाब थे । मालूम हो कि जुबेदा तीन बहने थी और तीनों ही बहनों ने फिल्मों में काम किया है। कहा जाता है कि जुबैदा ने उस दौर में फिल्मों में काम करना सुरु किया था जब इज्जतदार घरानों की महिलाओं को फिल्मों में काम करना तो दूर घर से निकलना भी बर्जित समझा जाता था।

जुबैदा ने पहली बोलती फ़िल्म में, जिसे लोग ‘आलम आरा’ के नाम से जानते है, में काम किया था । इसके बाद इनकी काम की तारीफ होने लगी तथा इन्हें ज्यादा काम मिलने लगे । जुबेदा अपने समय में जानी-मानी अभिनेत्रियों में गिनी जाती थी । 1925 में जुबैदा ने 9 फिल्मों में काम किया था जिसमें देवदासी, देश का दुश्मन, काला चोर जैसे फिल्मों का नाम शामिल है ।

1988 में जुबैदा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया और इनकी आखिरी फ़िल्म “निर्दोष अबला” थी ।आज के समय मे तो महिलाएं फिल्मों में एक बढ़ एक किरदार निभाते देखी जा रही है लेकिन जुबैदा ने तो उस समय फिल्मो में काम करना सुरु किया था जब फिल्मो में महिलाओं का किरदार भी पुरुष महिला बन कर निभाते थे । उस जमाने मे महिला को घर से निकलना भी दुश्वार था जिस समय इन्होंने फिल्में करनी सुरु की थी ।

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